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30 मई 2008

हिंद-युग्म वाह...!.....वाह...!!

नियंत्रक ने पहली कविता के प्रयास के ऑचित्य को बखूबी बयान किया कुछ यूँ :-तपन जी,पहली कविता तो कोई कभी भी लिख सकता है। उदाहरण के लिए हिन्द-युग्म के सम्मानित कवि उदय प्रकाश ने शायद अपनी पहली कविता आज से २० साल से भी अधिक समय पहले लिखी होगी। अमूमन कवि अपनी पहली कविता प्रकाशित नहीं करवाते या नहीं हो पाती, इसलिए हमने यह कदम उठाया है। आपने जब भी लिखी हो अपनी पहली कविता उसे आप भेज दीजिए।"
सच्चे मन से हुए प्रयास की सर्वत्र सराहना हो इसी कारण से मैं इस आलेख को मिसफिट Misfit से यहाँ भी ले आया हूँ माफ़ करिए पुनर्प्रकाशन के लिए ।
पहली कविता को छापने का जोखिम उठा कर काव्य-पल्लवन सामूहिक कविता-लेखन विषय-चयन किया है :-अवनीश गौतम जी ने । तारीफ देखे पहली कविता की प्रविष्ठियाँ चार भागों में छापनी पडी ...... वाह...!....वाह...!!
हिन्द-युग्म
जोखिम भरे काम करने वालों के लिए सराहना ज़रूरी है ......!!
प्रथम भाग में
ममता पंडित दिव्य प्रकाश दुबे सुमित भारद्वाज सीमा सचदेव अजीत पांडेय समीर गुप्ता प्रेमचंद सहजवाला पावस नीर रचना श्रीवास्तव लवली कुमारी हरिहर झा राहुल चौहान सतपाल ख्याल पीयूष तिवारी आलोक सिंह "साहिल" अर्चना शर्मा रंजना भाटिया सजीव सारथी विपुल कमलप्रीत सिंह
दूसरे भाग में
सविता दत्ता शोभा महेन्द्रू देवेन्द्र कुमार मिश्रा महक डॉ॰ शीला सिंह गोविंद शर्मा रश्मि सिंह अभिषेक पाटनी अवनीश तिवारी विजयशंकर चतुर्वेदी आदित्य प्रताप सिंह डा. आशुतोष शुक्ला अमित अरुण साहू रेनू जैन सुरिन्दर रत्ती मंजू भटनागर शिवानी सिंह श्रीकान्त मिश्र 'कान्त' अमिता 'नीर' कु० स्मिता पाण्डेय
तीसरे भाग में
देवेंद्र पांडेय डा. रमा द्विवेदी अशरफ अली "रिंद" ममता गुप्ता रजत बख्शी राजिंदर कुशवाहा गरिमा तिवारी विनय के जोशी डा0 अनिल चड्डा यश छाबड़ा कवि कुलवंत सिंह एस. कुमार शर्मा मीनाक्षी धनवंतरि शुभाशीष पाण्डेय शिफ़ाली पूजा अनिल अविनाश वाचस्‍पति निखिल सचन सोमेश्वर पांडेय सुनील कुमार सोनू
और ताज़ातरीन चौथे भाग में *** प्रतिभागी रहे
राकेश खंडेलवाल सीमा गुप्ता सतीश वाघमारे संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी ब्रह्मनाथ त्रिपाठी 'अंजान' मैत्रेयी बनर्जी सतीश सक्सेना विवेक रंजन श्रीवास्तव "विनम्र" आशा जोगळेकर राहुल गडेवाडिकर मधुरिमा कुसुम सिन्हा महेंद्र भटनागर शैलेश भारतवासी मनीष वंदेमातरम स्वाति पांडे तपन शर्मा गोविन्द शर्मा डॉ॰ एस के मित्तल राजीव तनेजा
यानी कुल अस्सी कवितायेँ जमा हुई किसी अखबार को भी इतनी रीडर शिप और पार्टिशिपेशन कविता के मामले में कम ही मिलता है। किसे नामज़द बधाई दूँ ........मेरी समझ में नहीं आ रहा है
केवल इतना कह पा रहा हूँ
बधाइयां
हिंद-युग्म

6 टिप्‍पणियां:

  1. गिरीश जी,

    हमारा तो प्रयास है कि इंटरनेट पर विचरने वाला हर कवि इस आयोजन का हिस्सा बने और हम उनकी पहली कविताएँ संजोकर रख सकें।आपने हमारी बात दुनिया तक पहुँचाने में जो मदद की है, उसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया

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  2. आपकी मेहनत सराहनीय है |

    -- अवनीश तिवारी

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  3. आपकी मेहनत सराहनीय है |

    -- अवनीश तिवारी

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  4. आपकी मेहनत सराहनीय है |

    -- अवनीश तिवारी

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  5. गिरीश जी,
    आपको हिन्दयुग्म का प्रयास अच्छा लगा ये जानकर खुशी हुई। आपका धन्यवाद जो हिन्दयुग्म को आपने अपने ब्लाग पर जगह दी।

    धन्यवाद
    तपन शर्मा

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  6. गिरीश जी,
    आपको हिन्दयुग्म का प्रयास अच्छा लगा ये जानकर खुशी हुई। आपका धन्यवाद जो हिन्दयुग्म को आपने अपने ब्लाग पर जगह दी।

    धन्यवाद
    तपन शर्मा

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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