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10 जून 2008

गीत लिखो प्रतियोगिता

गीत लिखो प्रतियोगिता की पहली प्रविष्टि भेजी है भाई विकास परिहार ने जिसे " प्रविष्ठियां "को क्लिक करके पढिए और अपना मत दर्ज कीजिए ,
यदि आप गीत कार हैं तो इक गीत यूनिकोड में टाइप कर भेजिए तुरंत

1 टिप्पणी:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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