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29 जून 2008

एक गीत

मुझे सुनिए यहाँ =>Billore's

अदेह के सदेहप्रश्न कौन गढ़ रहा कहो ?
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बाग में बहार में, ,
सावनी फुहार में !अदेह के सदेह
पिरो गया किमाच कौन
मोगरे के हार में !!
पग तले दबा मुझे कौन बढ़ गया कहो...?
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एक गीत आस का
एक नव प्रयास सा
गीत था अगीत था !
या कोई कयास था...?
गीत पे अगीत का वो दोष मढ़ गया कहो...?

2 टिप्‍पणियां:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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