कचरे के ढेर पर ,पाॅलिथिन की पन्नियों में
मिल जाती हैं रोटियाँ ,
और
बीमारियों के विषाणु
यह तलाश जाने कब से जारी है
कविता:गिरीश बिल्लोरे "मुकुल" फोटो:संतराम चौधरी,
मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
akdam sahi.satik.jari rhe.
जवाब देंहटाएंThanks
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएं