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28 जून 2008

फोटो-कविता:"तलाश"

  • "तलाश"
    जिंदगी की शुरुआत
    एक अनवरत तलाश
कचरे के ढेर पर ,पाॅलिथिन की पन्नियों में
मिल जाती हैं रोटियाँ ,
और
बीमारियों के विषाणु
यह तलाश जाने कब से जारी है
कविता:गिरीश बिल्लोरे "मुकुल" फोटो:संतराम चौधरी,

3 टिप्‍पणियां:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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