शीर्षक नहीं बदलूँगा.....जालिमों प्रभाकर पाण्डेय की यह पोस्ट आज सबसे ज़ोरदार लगी
वे यहाँ तक कहते हैं कि
"जब सब 0 होता तो लेखक भी 0 होता और वह सीना तान के यह नहीं कह रहा होता की नहीं बदलूँगा, शीर्षक।
सोचिए जिम्मेदार कौन। इस चिट्ठे पर हमारे गणमान्य बुजुर्ग चिट्ठाकारों की एक भी टिप्पणी नहीं है जो इस बात की गवाह है कि उन लोगों ने इस शीर्षक को अहमियत ही नहीं दिया।
दोषी न शीर्षक है न जालिम दोस्तों, दोषी तो हम जालिम हैं।"
-प्रभाकर पाण्डेय
बधाइयाँ स्वीकारिए प्रभाकर जी
वाह जी,हम तो कन्फ्यूज ही हो गए थे.सही..
जवाब देंहटाएंआलोक सिंह "साहिल"
वाह जी,हम तो कन्फ्यूज ही हो गए थे.सही..
जवाब देंहटाएंआलोक सिंह "साहिल"
वाह जी,हम तो कन्फ्यूज ही हो गए थे.सही..
जवाब देंहटाएंआलोक सिंह "साहिल"
धन्यवाद।
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