विरहन के मन की व्यथा, बांच सके तो बांच .!
मन रीता ज्यों गागरी,चुभता संयम कांच !!
चुभता संयम कांच देह अदेह सरीखी
पिय बिन लागे मिसरी मोहे मिरच सी तीखी !
विरहा अगन लगाय कित छुप गए का जानूं...?
पियु तुमको पदचाप से ही मैं पहचानूं .
कहें मुकुल कवि प्रीत प्रभू से करौ जा रीति
सब पथ कंटक पूर्ण,प्रीत पथ सहज है नीति
###############################
मन रीता ज्यों गागरी,चुभता संयम कांच !!
चुभता संयम कांच देह अदेह सरीखी
पिय बिन लागे मिसरी मोहे मिरच सी तीखी !
विरहा अगन लगाय कित छुप गए का जानूं...?
पियु तुमको पदचाप से ही मैं पहचानूं .
कहें मुकुल कवि प्रीत प्रभू से करौ जा रीति
सब पथ कंटक पूर्ण,प्रीत पथ सहज है नीति
###############################
बढ़िया है, भाई. आनन्द आया.
जवाब देंहटाएंbahut achhi rachna aur virahan ki pidha ko bahut achhe sabdon main likha hai
जवाब देंहटाएंbhiyaa kavita aur likhe aapki kavita main bahut anuthi baat hai
समीर जी ,श्रद्धा गुरूजी
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन
अभीभूत हो गया हूँ
आभारी हूँ
वास्तव में कविता में सूफियाना असर देखना चाहता हूँ
कहें मुकुल कवि प्रीत प्रभू से करौ जा रीति
सब पथ कंटक पूर्ण,प्रीत पथ सहज है नीति
http://www.orkut.co.in/Scrapbook.aspx?uid=6025034279180094875&pageSize=&na=3&nst=-2&nid=6025034279180094875-1215403317-18087716045748028663 PER
जवाब देंहटाएंsanjay NE KAHAA :
sringar rash hai ya prem rash, jo v ho acha hai,
nayika nayan me akash ka bojh kyu utai hai, explain