31 जुल॰ 2008

बेहतरीन आवाज़ के धनी इश्मीत को अश्रूपूरित श्रद्धांजलि



आज जबलपुर का हर कला प्रेमी इश्मित के न होने का विश्र्वास नहीं कर पा रहा . आभास के कारण जबलपुर जुड़ा वाईस ऑफ़ इन्डिया से किंतु इश्मीत और हर्षित से जुड़ने की वज़ह सिर्फ़ और सिर्फ़ इन दौनों की ज़ोरदार परफोर्मेंस ही थी . इतना टैलेंट एक साथ कहाँ . आज इश्मीत के बिना रियलिटी शो से उभरे गायकों के मन में गहरा सदमा सभी देख रहें हैं . वी ओ आई एक का हर एपिसोड रोमांचकारी होता था. लेकिन प्रतियोगिता के बाद इस देश के अपने से हो गए ये बच्चे . इश्मित केवल सबके दिल में बस जाने वाला देवदूत था जिसे ईश्वर ने वापस बुला लिया.
आभास जोशी स्नेह मंच के राजेश पाठक,के शब्द थे :-"किसी माँ का लाल जो विश्व क्षितिज पे सितारे सा चमकने लगा हो का बिछोह वो माँ कैसे सहेगी वाहे गुरु उस माँ को शक्ति दे....!"
पंडित गोविन्द दुबे तो आज इस सितारे के अनंत में विलीन होने पे गहरे सदमें में देखे गए . ऐसे कई उदाहरण हैं. स्वयं आभास के पिता रविन्द्र जोशी अपने आप को सहज करने में असमर्थ दिखे और हों भी क्यों न इशमीत के साथ गुज़ारे कुछ दिन उनकी यादों से जो जुडें है.यही हाल आभास के चाचा यानी मेरे मित्र और भाई जितेन्द्र का है .
शोक के इस समय ईश्वर से उनकी आत्मा की शान्ति और परिवार को दु:ख सहने की क्षमता हेतु सभी जबलपुर वासी प्रार्थना रत है ..........................

हिंद युग्म से साभार http://podcast.hindyugm.com/2008/07/blog-post_517.html,लिंक पर , अलविदा इश्मित... विस्तृत रिपोर्ट पोस्ट की गई है

1 टिप्पणी:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!