5 अग॰ 2008

हम इस बार भी १५ अगस्त मनाएंगे


१५ अगस्त मनाएंगे
जी हर बार की तरह हम इस बार भी
१५ अगस्त मनाएंगे
जन गन मन गाएंगे
हम देश भक्त हैं साबित करने
ए० आर० रहमान के गीत "माँ तुझे सलाम " गुनगुनाएँगे.
फ़िर बाल बच्चों के साथ छुट्टी मनाएंगे
हम लोग भाई अपने को बड़ा राष्ट्र प्रेमी साबित करने पे तुले हैं।
ये अलग बात है कि हम माँ के दूध से एकाध बार ही धोए गए अथवा धुले हैं।
सारी सफेदी बगुलों के बाद की नेताओं को मिली है
उनकी वाणी में सफ़ेद झूठ
और
खादी की पोशाक गोया नए रिन की बट्टी से धुली है......!
भारत की महानता के नाम पर आत्म-गीत गायेंगे ..... !
और नौकरशाह बंद गले के काले सूट में मंडराएंगे.....?
भाई अब आज़ाद है भारत
सबको आज़ादी के मायने समझ में आ गए हैं
तभी तो गिद्धों की तरह लुटेरे पंछी आकाश पे छा गए हैं !
बूडे गिद्ध के पूछने पर युवा सेना पति ने बताया
"दादा दुनिया से शान्ति को हमने कुछ भाग खा लिया हैं
थोड़ा-थोड़ा कर पूरा खा जाएंगे"
जो मज़ा दहशत गर्दी में हैं हजूर वो और कहाँ मिलेगा
आप चिंता न करिए इस बार भी मौका हम को ही मिलेगा
हमारी इच्छा के बगैर पत्ता भी न हिलेगा
गिद्धराज ने कहा : वीर,भारत के जन नायकों की
हमारे इस युद्ध पर नज़र नहीं हैं
कैसी हैं महा नायकों के बाद की पीड़ी
गिद्धों के समवेत सुर गूंजे "वो दिखा रही हैं एक दूसरे की सी0 डी0"
और महाकवि ...?
हाँ दादा महाकवि जिगर से बीड़ी जलवाने
बिपासा को नचवा रहें हैं....!
अब तो इस देश में हम इंसानों की काया में प्रवेश करते हैं
उनकी चेतना हरते हैं ...!
फ़िर जी भर के देश में दमन करतें हैं
इनकी आज़ादी हमारे लिए उपहार हैं
क्योंकि इनके चिंतन में स्वार्थ की दीवार हैं...!
गिरीश बिल्लोरे मुकुल

4 टिप्‍पणियां:

  1. हम भी ऐसा ही मानने का प्रयत्‍न करेगे,

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  2. kya baat hai mukul jee,bakhiya udhed kar rakh di.bahut bahut bahut badhai ho aapko

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  3. १५ अगस्त के लिए चल रही तैयारी
    अपुन ने एक कविता लिख मारी
    आपने तारीफ़ की भारी
    मुकुल आप सभी का है आभारी

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!