न हताशा न थकन है
मन बस विश्वास है
चल मुसाफिर संग मेरे
अपनी मंजिल पास है
#######
कौन थकता है यहाँ पर
कौन हारा है कभी
जब से साहस संग थामा
मन विजय-पथ पे तभी
पराजय भय-भाव मन का
जीत दृढ़ विश्वास है !!
#######
किसने जाना कल की
झोली में रखा क्या ?
ताज कब तक सर पे
किसके है रहा क्या ?
विजय जो मन में रहा करती सदा
उस विजय की आज हमको को आस है !!
#######
विष उगला बंद हो
चहुँ ओर सुख मकरंद हो
चलो हिलमिल हम मिटाएँ
भय के इस अनुबंध को
भरत भू पे राम रहिमन साथ हैं
जॉन को सुखबीर पर विश्वास है !!
• गिरीश बिल्लोरे मुकुल
969/ए-2,गेट नंबर-04
जबलपुर म.प्र.
चल मुसाफिर संग मेरे
अपनी मंजिल पास है
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कौन थकता है यहाँ पर
कौन हारा है कभी
जब से साहस संग थामा
मन विजय-पथ पे तभी
पराजय भय-भाव मन का
जीत दृढ़ विश्वास है !!
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किसने जाना कल की
झोली में रखा क्या ?
ताज कब तक सर पे
किसके है रहा क्या ?
विजय जो मन में रहा करती सदा
उस विजय की आज हमको को आस है !!
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विष उगला बंद हो
चहुँ ओर सुख मकरंद हो
चलो हिलमिल हम मिटाएँ
भय के इस अनुबंध को
भरत भू पे राम रहिमन साथ हैं
जॉन को सुखबीर पर विश्वास है !!
• गिरीश बिल्लोरे मुकुल
969/ए-2,गेट नंबर-04
जबलपुर म.प्र.
बहुत सुन्दर बालगीत है।आभार।
जवाब देंहटाएंअर्थपूर्ण बालगीत हमारे लिए। खास पसंद आईं ये पंक्तियां-
जवाब देंहटाएंजब से साहस संग थामा
मन विजय-पथ पे तभी
पराजय भय-भाव मन का
जीत दृढ़ विश्वास है !!