मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
हर जगह पैसा ही पैसा...गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं
बहुत खूब छा गए भाई ....अनिल कान्त मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
योजना का अच्छा चित्र प्रस्तुतिकरण.
vah vah ji
सुंदर प्रस्तुती....आभार Regards
कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !! बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के ! सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!
हर जगह पैसा ही पैसा...
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं
बहुत खूब छा गए भाई ....
जवाब देंहटाएंअनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
योजना का अच्छा चित्र प्रस्तुतिकरण.
जवाब देंहटाएंvah vah ji
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुती....आभार
जवाब देंहटाएंRegards