*यदि आपका सही ((संदेश एक ग़लत स्थान पर जाने से संदेशा अच्छा युक्ति संगत होने के बावजूद ग़लत ही होता है. विशेषकर आभासी विश्व में ज़रूरी है कि वास्तविकता के धरातल पर पहुँच कर ही कुछ कहा जाए .
* मेरे मित्र राजू उर्फ़ आर डी मालवा की एक लोकोक्ति अक्सर सुनाकर सब को चौंका देतें है -"ऊंट पर बैठकर बकरी चराना सम्भव होता है"- ब्लागिंग भी एक जिम्मेदारी भरा काम है उसके लिए राजू का कहना है :-"पोर्या पटेली नारिया खेती नहीं होती" यानि जिम्मेदारी वाले कामों में से बचपना नहीं चलता ।
(संदेश:- आदरणीय विष्णु बैरागी जी की उक्ति इस ब्लॉग पर सादर अंकित किया )
Sahi kaha..;.
जवाब देंहटाएंरंजना.
जवाब देंहटाएंत्वरित-एवं गंभीर टिप्पणि के लिए
आभारी हूँ
सदाशयतापूर्वक अिप्पणी करते-करते क्या मैं किसी राजनीति का हथियार बन रहा हूं?
जवाब देंहटाएं.....और आजकल सज्जन दुर्जनों के पास फटकना भी नहीं चाहते....इसलिए तो उन्हें और बल मिल रहा है।
जवाब देंहटाएंaaj apni oukaat dikha thi mai to apko bahut achcha manata tha . khualakar samane aao jiski kalam me dam hogi vah jeet jayega .
जवाब देंहटाएंविष्णु बैरागी जी
जवाब देंहटाएंसादर-अभिवादन
स्वागत है संयोगवश यही हो गया जो न होना था हो गया
आप इसे अन्यथा न लीजिये कई बातें कभी कभी हो ही जातीं हैं
आपको मित्र के ब्लॉग की भाषा समझने में थोडा सा विलंब हुआ
आक्रोश में कोई कुछ भी कर सकता तै कई दिनों से मैं भी इग्नोर
कर रहा था किंतु मित्र ने अभद्र शब्दों का उल्लेख किया
शुरू किया तो ज़रूरी था टिप्पणी भी मुझे आहात कराने वाली देख आपको
लगा होगा मैं दुर्जन हूँ सो मैंने पोस्ट लिख दी . किंतु पोस्ट का सार गंभीरता से देखिये
कुछ अच्छा ही मिलेगा
पुन: सादर
आपका ही गिरीश बिल्लोरे "मुकुल"
जबलपुर
Blogger महेंद्र मिश्रा said...
जवाब देंहटाएंaaj apni oukaat dikha thi mai to apko bahut achcha manata tha . khualakar samane aao jiski kalam me dam hogi vah jeet jayega .
2 February, 2009 10:16 AM
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मिश्रा जी
अब आप मुझे बुरा समझ रहे हैं तो कोई आपत्ति नहीं
मुझे तो बस आपके ऐसे ही मार्गदर्शन की ज़रूरत है
जिससे सार्थक लेखन के लिए मुझे बल मिले .
रही बात आपकी धडाधड आ रहीं आक्रोशी
पोस्टों की सो स्वागत योग्य है यह आपका अधिकार
है लिखिए पर बार-बार मुझे विषय वस्तु बनाने से आपके
लेखन पर लोग अंगुली उठाएंगे की मिश्र जी के पास विषय
नहीं बचे ...... बड़े भईया......"और भी बुराइयां हैं देश-दुनिया में मेरे अलावा
आप एक सम्मानित ब्लॉगर हैं खुल के लिखिए उन सब पर भी रहा मेरा सवाल
तो जब आपको लगे कभी कि मुझपर लिखना ज़रूरी है तो महीने दो महीने में
एकाध पोस्ट दाल दिया करें मेरे ख़िलाफ़ ताकि लोग मुझमें बुराई कोजाने मेरे ब्लॉग पर
पधार जाएँ भाई साहब मुझे अकारण रोज रोज प्रसिद्द न करें''
आपके लेखन को पढ़कर प्रतीत होता है कि आप मानसिक रूप से भी विकलांग है जो कलम भी विकलांग हो गई है यह आपकी पोस्ट खुन्नस निकाल रही है यह साबित हो रहा है . कभी माफ़ी मांगते हो कभी बुराई करते है यही आपका व्यक्तिव और कृतित्व है .
जवाब देंहटाएंबन्धुवर, हम मसला कुछ नहीं जानते और न जानना चाहते हैं लेकिन ई अंदाज बहुत बचकाने हैं। आपस के मतभेद/झगड़े बैठकर निपटाओ। चाय पियो,पिलाओ। मस्त हो जाओ!
जवाब देंहटाएंअनूप जी का अनुभवी आदेश सर माथे
जवाब देंहटाएंअब आगे से इस विषय पर कोई बात न लिखूंगा
सादर अभिवादन
गुरु चाय पे कब आवेंगे जी
जवाब देंहटाएंसंदर्भ नही मालूम मगर दुखद है !
जवाब देंहटाएंचाय पर जल्द ही आयेंगे।
जवाब देंहटाएंanoop ji
जवाब देंहटाएंVade ka pakkaa hoon
chay par bula ke hee
dam loong
apase ek vada kiyaa hai amal zaree hai
Are vah
जवाब देंहटाएंprakaran samaapt
sundar baat
is vivaad ne ek kaam achchha kiyaa blogars ko post or tippani ka anusasan sikha diya
hamen bhee "T" par bulaaen
aapase mil kar khushee hee hogee
mujhe lagata hai ki apake saath koi .... khair chhodie sab chaltaa hai