2 मार्च 2009

आज से 12 दिन बाद

{स्वर्णिम,अंकुर,गिरीश,आभास,नानाजी,आशीष-सक्सेना,श्रेयस जोशी ये है बावरे फकीरा टीम }
मुझे विश्वास नहीं हो रहा पर सच है साईनाथ ने दो हाथों से खुशियाँ दे दी मुझे दो बरस से ज़्यादा वक़्त बीत गया ... "बावरे-फकीरा" को बने मुझे लगा शायद जनता के बीच न जा सकेगा ......ईश्वर की मर्ज़ी यही थी कि जब लाइफ लाइन ट्रेन जबलपुर आएगी तभी एलबम लांच होगा । जी हाँ यही सच था है और रहेगा....! अप्रैल माह में लाइफ लाइन एक्सप्रेस ...........जबलपुर आयेगी। समय से पहले कुछ होना सम्भव नहीं हर काम का समय तय शुदा है... यही ईश्वर की करामात है। अब साई और क्या कमाल करेंगे मेरा मन उन ही छोड़ता अपना और "बावरे-फकीरा"का कल आज और कल............यानी सब कुछ "रब की मर्ज़ी पर "



2 टिप्‍पणियां:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!