25 मार्च 2009

अजय त्रिपाठी भी आ चुकें हैं

जबलपुर के मीडिया कर्मी,कवि,कहानीकार,लेखक,समाजसेवी,कमोबेश हर फील्ड से लोग रहे हैं ब्लॉगर बनने आएं क्यों अभिव्यक्ति की इस विधा का महत्त्व समझते हैं अजय त्रिपाठी जैसे रचनाधर्मी के ब्लॉग का नाम है :"मेरे मुहल्ले का नुक्कड़" शीर्षक से ही प्रभाव छोड़ते इस ब्लॉग से हमें बहुत उम्मीद हैं
अशेष शुभाकानाओं सहित
मेरे मुहल्ले का नुक्कड़:http://jabalpurmedia.blogspot.com/


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!