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26 मार्च 2009

मेरी और से उसके सौन्दर्य की तारीफ़ ज़रूर का देना... !!



नूह की नौका के जात्री

नौका जो यहाँ चलती है

जहाँ एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ पे कूदते थे बन्दर
अब बेचारे शांत भाव से बरगी डेम का नज़ारा करतें है

हर तरफ से वज़नदार पोस्ट आ रहीं है,उधर अजय त्रिपाठी इधर विजय तिवारी और भाई डूबे जी क्या कहने....!विवेक रंजन श्रीवास्तव ,आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'!!,

बवाल भाई जान मुझे लगता है ये घने नहीं बज रहे हैं , इनसे निकले सुरों में गाम्भीर्य का पुट है। यानी सबके सब जबलपुर का नाम ........... खैर छोडिए ज़्यादा कहूँगा तो स्तीफा दे देने तक की नौबत आ जाती है ..... धुरंधर लिक्खाड़ में शुमार नूह की बनाई नाव पे बिराजे ब्लॉगर एन धुँआधार में नौकायन को उतारू हैं .......... अब तो आनंद ही आनंद हवे भाई।

ब्लॉग की चर्चा हो और भाई लाल साहब की चर्चा न करुँ हो इच्च नई सकता bहाई वो तो नहीं कई और हैं जो उनके नाम से लाल--पी...ले..... हो जाएंगे तो अपुन न तो यथा के रहेंगे न ही तथा के ,,,,,,,,?

इधर अपने राम का गुसल खाने से निकलना हुआ था की बरसात आ गई ..बावरे फकीरा लांच.. से फारिग होते ही वायरल की ज़कड़न और फ़िर लोकसभा चुनाव फ़िर 23अप्रेल 2009,से मैजिक ट्रेन लाइफ लाइन के लिए एडवांस तैनाती यानी इतनी गंभीर पोस्ट लिखने का मौका कम ही मिलेगा जितनी गंभीर पोस्ट उपरोक्त मित्रों ने लिखी है . सभी को हार्दिक शुभकामनाएं

आप सोच रहे होंगे की इस पोस्ट में सुन्दरी का चित्र.........?

सोचते रहिए अगर मिल जाए कहीं तो मेरी और से उसके सौन्दर्य की तारीफ़ ज़रूर का देना... सच कितनी सुंदर कल्पना है चित्र कार की कितना सुंदर देख लेते हैं चित्रकार लोग है न ...?


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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

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