मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी .....
मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
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23 मार्च 2009
चार लाईना..!!
कैसे कैसे लोगों में मुगालते पले भाव अपने राह में उछालते चले एक नुक़रई हंसी पे सैकडों सवाल सच सुना यक-ब-यक पुआल से जले । {फोटो : गूगल बाबा के खजाने से साभार यहाँ से }
कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता ! आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !! बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से ! दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के ! सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!
वाह जी बहुत सुन्दर
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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
कैसे कैसे लोगों में मुगालते पले
जवाब देंहटाएंभाव अपने राह में उछालते चले
" गहरे भाव समेटे ये शब्द और साथ में बेहद जानदार चित्र....सुंदर.."
Regards
विनय भाई,सीमा जी शुक्रिया
जवाब देंहटाएंकैसे कैसे लोगों में मुगालते पले
जवाब देंहटाएंभाव अपने राह में उछालते चले
एक नुक़रई हंसी पे सैकडों सवाल
सच सुना यक-ब-यक पुआल से जले ।
chand paktiyan ...dilkash andaz me...waah...!!!