23 मार्च 2009

चार लाईना..!!

http://www.blackwellpublishing.com/products/journals/aag/AAG_October06/figs/aag_47504_f3.gif
कैसे कैसे लोगों में मुगालते पले
भाव अपने राह में उछालते चले
एक नुक़रई हंसी पे सैकडों सवाल
सच सुना यक-ब-यक पुआल से जले ।
{फोटो : गूगल बाबा के खजाने से साभार यहाँ से }

4 टिप्‍पणियां:

  1. कैसे कैसे लोगों में मुगालते पले
    भाव अपने राह में उछालते चले

    " गहरे भाव समेटे ये शब्द और साथ में बेहद जानदार चित्र....सुंदर.."
    Regards

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  2. कैसे कैसे लोगों में मुगालते पले
    भाव अपने राह में उछालते चले
    एक नुक़रई हंसी पे सैकडों सवाल
    सच सुना यक-ब-यक पुआल से जले ।

    chand paktiyan ...dilkash andaz me...waah...!!!

    जवाब देंहटाएं

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!