चार पहिए का सुख कौन न नहीं भोगना चाहता , टाटा" की नज़र की जिन ऊँचाइयों पर थी उसे समझा नरेंद्र मोदी ने
ममता जी
बहरहाल मुझे तो चिंता है की बुकिंग सही समय पर कर पाता हूँ की नहीं इलेक्शन की ड्यूटी बजाते बजाते देर न हो जाए ............... तब तक आप सुधि जन सोचिए
"नकारात्मक उर्जा से पीड़ियों को सकारात्मक संदेश कभी नहीं दिए जा सकते जब चरखा ज़रूरी था तब चरखा जब स्पात ज़रूरी हो तो स्पात जब कम्प्युटर तब कम्प्युटर तो बताइये कौन सोचता है जनता के बारे में सही ?"
विकास का विरोध किस हद तक हो कैसा हो इस बात की समझ से देश का विकास सम्भव है । आज इस देश में ऐसी अनोखी सोच मौजूद है जो देश का काया कल्प करने की अदभुत ताक़त रखतीं हैं आइये सकारात्मकता का बिरवा उनके घर रोप आएं जो क्षणिक लोकप्रियता वश दीर्घ कालिक लाभ से कौमों को वंचित करतें हैं ॥
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तब तक आप इसे सुनिए : जो
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सुरूर सा हो गया पढ़-सुनकर
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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें