3 अप्रैल 2009

बवाल,प्रेम,समीर लाल,और किसलय जी की गीतों भरी कहानी


हर ब्लॉगर के सपने बस एक से ही हैं ......सभी लिखतें हैं लगातार बड़ी मेहनत मशक्कत से लोग बांचें अपनी बात सार्वभौमिक रूप से छा जाने की तमन्ना लिए दिल में एग्रीगेटर के पहले पन्ने के 40 श्रेष्ठों में आने और छाने की आकांक्षा लिए हम लोग ज्यों ही टिपियाने का महत्त्व समझ लेते हैं तो "सबको टिपियाते चले जाते हैंबिना किसी भेद भाव के। किन्तु इसे हम एक इनवैस्टमेंट मानतें हैं ।और इस का सीधा सम्बन्ध है वही ब्लॉग के लोकप्रिय होने का यही तमन्ना होती है

सभी जानतें हैं । अच्छे और गंभीर ब्लॉग मुसाफिरों को भी मोह लेने की क्षमता से लबालब होते हैं
किंतु रिकार्ड बनाने के चक्कर में बनाए ब्लॉग केवल ख़ुद के पड़ने के काम आतें हैं , कभी ख़ुद पे कभीइस ब्लॉग पे रोना आता है और हमारे पास यही गाना गुनगुनाने को शेष रहता है दिन ढल जाए बिन टीप पाए
तब शुरू होती है ओरों के ब्लागों पे टिपियाने की कहानी रफ्त:रफ्त:यही करतें हैं
तब आतीं हैं अपने ब्लॉग पर टिप्पणियाँ मित्र /सखी फ़िर चुटकी लेते हैं जानू जानू रे कैसे पायीं तीन टिपियाँ 15 से ज़्यादा टिपियाना हुआ की मन गा उठता है ब्लागिया आज तुझे नींद नही आएगी भले शरीके हयात कितने बार चीख चीख के बेजार होके ये गावें न जावो सैंयाँ पर हम हैं की देर रात तक निटियाते ही रहेंगें {रहतें हैं } अब जब ब्लागिंग के मोहपाश में बाँध ही गए हों हम तो सबके कथन का आर्थ खोजने की कवायद शुरू कर देतें हैं कुछ इस तरह से जाने क्या तुने कही जाने क्यों तूने कही

भले ही हमको नादान भंवरा माना जाए ।

कई बार अच्छे से अच्छा ब्लॉगर घोर निराशा में अवसाद में आ जाता है गुनगुनाता है तंग आ चुके हैं जैसे गीत गाता है तब अवतरित होते हैं ताऊ कुछ यूँ गाते हुए सर जो तेरा चकराए क्योंकि कुछ नामाकूल किस्म की पोस्ट

कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना होतीं हैं ,

तब हताश मन एक बार फ़िर सोचता है बीसियों नहीं सैकड़ों कमेन्ट वाली पोस्ट के लिए

जाने वो कैसे ब्लॉग हैं जिनपे कमेन्ट हज़ार मिला

इसी उहा पोह में कुछ नुस्खे आज़माने का दौर चलता है देर रात तक नीद आती है तो कम्प्युटर गोया गुनगुनाता नज़र आता है अभी न जाओ छोड़कर और ब्लॉगर गुनगुनाता है अपनी धुन में खोया खोया चाँद _

10 टिप्‍पणियां:

  1. वाकई गीतों भरी शाम तो क्या पोस्ट हो गई-जो हमेशा दर्ज रहेगी. बहुत खूब लिंक किया है, बधाई.

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  2. Deer likhoo ya Dear likhoo
    khair khatragi ho
    kuchh bhee likhoo
    maza aa gaya aapase milkar
    shesh sabhee ka shukriya

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  3. वाह वाह मुकुल भाई क्या चौकड़ी के बहाने से चौंका दिया । हा हा बहुत ही सुन्दर सुन्दर गाने सुनाए भाई मज़ा आ गया।

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  4. चित्र में मित्रों को देख कर
    लिंक्स में गीत सुनकर
    और गीतों भारी कहानी पढ़कर
    आनंद आया जीभर .
    - विजय

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!