10 अप्रैल 2009

जनता सब देख रही है


कैसे हो भाई मटुक नाथ



ऐसा हूँ
तुमको लगा होगा ऐसा हूँ....?
जूली के बिना ...?



हैं




अपना गुल्लू
कल भाषण से रहा था
फ़िर उसकी ऐसी दशा हुई



"बोल अब गला कटेगा,॥?
रोलर चलाने की धमकी देगा "
किसी को पूतना कहेगा...?
बोल...
जनता सब देख रही थी



























7 टिप्‍पणियां:

  1. wow, kitna saaraa kah diya bina likhe. sach hai janta dekh rahi hai, par sach ye bhi hai ki janta kewal dekhti hai kuchh karti nahi hai, yadi janta kuchh karne par utar aaye to naetaaon ki to samajh men.............
    - vijay

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  2. रोचक प्रस्तुति।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
    कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  3. बड़े दंगाई बच्चे लिए बैठे हो भाई, अपने ब्लॉग पर. सुन्दर हैं.

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  4. जनता सब देख रही थी :)

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!