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9 मई 2009

बाबूजी का जन्म दिन

उधर ऊपर वाले कमरे में कुछ बुजुर्गवार बच्चों की तरह मस्ती कर रहे थे।देखिए गुहे साहब मास्टर अमलाथे जी की गोद में जा टिके

बाबूजी के मस्तेले मित्र जिनको उम्र के लिहाज से तो बुजुर्ग कहा जाए किंतु अन्दर से बाल सुलभ भाव हैं मन में इनके
बहुत मना करने पर भी आँगन में बैठे कूलर से दर रहे थे कि कहीं कोई विपरीत असर न डाले ठंडी हवा ट्रक की तरह आवाज़ के करता कूलर घनघनाता रहा . बाक़ी कमरे परिजनों की धींगा मस्ती से आबाद थे.


सभी सीनिअर सिटीज़न इंतज़ार में थे भीतर से खाने के बुलावे के १:०० के बाद घरों में इन बुजुर्गों को बहुएं रोजिन्ना थाली परोस देतीं है । इन में जो विधुर नहीं हैं उनके लिए दो थालियाँ इस बात में कोई शक नहीं । फ़िर इनमें से कोई वृद्धाश्रम के बारे में नहीं सोचता , इनके बच्चों के मन में भी इनको बोझ समझाने की कोई वज़ह नहीं
जी हाँ सभी आए थे बाबूजी के जन्म दिन पर उनका और बड़े भैया जी का भी जन्म दिन जो था और बाबूजी जो हर महीने किसी न किसी बुजुर्ग के जन्म-दिन में शामिल होतें हैं।
सभी आतिथि बुजुर्गों ने बाबूजी और भैया पर पुष्प वर्षा की । उनके संगठन के नियम के मुताबिक एक नारियल,एक पाँव मगद के लड्डू, एक शाल, भेंट की और हाँ उसके पहले नरमदा पूजन फ़िर एक वृक्ष का रोपण किया जिसकी सेवा का भार हम भाइयों को ऑफीशियली सौंपा गया ।
ये बुजुर्ग किसी निंदा में व्यस्त नहीं न ही- इनने राजनीतिक विषयों पर चर्चा- केवल चर्चा होती है तो ""सर्वे जना: सुखिना भवन्तु"
उधर चिंमय के नन्हें मित्र जपनीत और कातन आज इस बात को लेकर परेशान की गुरु भैया उनको टाइम क्यों नहीं दे रहे ।
स्वस्ति वाचन भी हुआ और रिटर्न-गिफ्ट भी दिए बाबूजी ने भैया ने गिफ्ट में थी शिवमहिम्न स्त्रोत पुस्तिका , एक जनेऊ, और एक रुपये का सिक्का
जी हाँ बाबूजी के ३७ मित्रों का एक संगठन है जिसमे कोई पद नहीं कोई वैभव शाली अतीत का गान नहीं करताकोई सियासी चर्चा नहीं होती सब मिलतें है माह में दो तीन बारकेवल आध्यात्मिक चिंतन करतें है







7 टिप्‍पणियां:

  1. यह बहुत बढ़िया तरीका रहा. बाबूजी को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाऐं एवं बधाई.

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  2. बहुत-बहुत बधाइयाँ चित्र साझा करने का शुक्रिया

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  3. जिये हजारो साल, साल के दिन हो पाचस हजार


    बहुत बहुत बधाई

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  4. मित्रो
    माँ बाप के बगैर
    घर कितना अधूरा होता है
    सब जानतें हैं किन्तु
    माँ बाप अब बोझ समझे जाते है
    यही दर्द है . मेरे कुटुंब में बीसियों
    जन्म दिन मानतें हैं
    आपके परिवार में भी ऐसे कितने
    जन्म दिन मानतें होंगे किन्तु जब
    किसी बुजुर्ग का जन्म दिन मनाया जाता है तो
    लगता है सच "आध्यात्मिक-मुदिता-आयोजित"
    की गई हो

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  5. गिरीश भाई
    बुजुर्ग तो संपत्ति
    से बढकर होते हैं
    किन्तु लोग मकान
    प्लाट कार में संपदा देखतें हैं
    Manish sharma

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  6. बाबूजी को जन्‍मदिन की बहुत बहुत बधाई ..

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

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