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11 मई 2009

भाग दो : कामकाजी महिलाएं : सामाजिक प्रतिबध्ताएं


कल शाम इस पोस्टको लिखने के बाद मन अशांत ही रहा बार बार यह विचार कौंधता रहा की सिर्फ़ निम्न और मध्य वर्गीय काम काजी महिलाओं का ही विवरण दर्ज किए है उच्च आय वर्गीय हेतु नहीं ?

इस आलेख में वास्तव में यहकुछ गंभीर सवाल इस पोस्ट की आधारशिला है जो कि मेरे दिमाग में हलचल मचा रही थी
एक: क्या कामकाजी महिलाएं सम्मान पा रहीं हैं...?
दो: हमारी सामाजिक व्यवस्था इस के अनुकूल है...?
तीन: नौकरी शुदा पुरुषों की तुलना में औरत को पारिवारिक तौर पर वो सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं जो पुरूष को
उपलब्ध होती है...?
चार: घर से बाहर समाज का नज़रिया कामकाजी महिलाओं के लिए कैसा है...?
इन सारे सवालों का जवाब "धनात्मक" नहीं रहा हैयह सच है किंतु अभी एच आई जी समूह की कामकाजी महिलाओं के सम्बन्ध में आलेखन शेष है अत: इन सवालों पर चर्चा कुछ समय के लिए स्थगित रखना चाहता हूँ इसके लिए प्रथक से पोस्ट का वादा है
उच्च आय वर्गीय महिलाओं के सम्बन्ध में मेरा आब्जर्वेशन ये है कि "अन्य आय वर्ग की महिलाओं के सापेक्ष उनकी स्थिति बेहतर है"
इससे इस बात का संकेत न माना जाए कि इस आय वर्ग की काम काजी महिलाओं को पूर्णत: कामकाजी होने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त हैं ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. यह एक बडा मुददा है,इसपर गम्भीर विमर्श होना चाहिए।
    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary- TSALIIM / SBAI }

    जवाब देंहटाएं
  2. किन्तु इस विषय पर विमर्श करने आपके अतिरिक्त शेष सभी मौन है
    कामकाजी महिलाएं भी चुप है क्या करें राखी सावंत पर लिखने की
    आदत नहीं है ...शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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