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11 जुल॰ 2009

इ वी एम का बवाल

"ईवीएम "पर सवाल उठाने वाले कम्प्युटर और तकनीशियन इस बात कोभली-भाँती समझ लें की भारतीय प्रजातंत्र के इस स्वरूप को जो त्रुटि पूर्ण नहीं है का नकारात्मक पहलू न उभारें । जो सवाल इन विद्वानों ने उठाएं हैं वे निर्वाचन व्यवस्था अंगुलियाँ उठाना ही है। हो सकता है कि मशीन मेंकोई गड़बडी हो किंतु वास्तव में भारत में निर्वाचन की सारी प्रक्रिया में इतनीसावधानी बरती जाती है जो शायद विश्व में कहीं । रहा ई वी एम मशीन मेंछेड़ छाड़ करके उसकी आतंरिक संरचना में कुछ ऐसे बदलाव हों जो त्रुटि पूर्णहो संभव नहीं । न ही ऐसे सुविज्ञ-तकनीशियन गाँव गाँव उपलब्ध हैं जोमशीनों में छेड़छाड़ करें ।
यदि यह कहा जाता कि-"इ वी एम् मशीन को तकनीकी क्षति पहुंचाई जा सकती है अत: सतर्कता और अधिक बढाइ जावे" तो लगता विशेषज्ञ वास्तव में व्यवस्था को और अधिक मज़बूत करना चाहतें हैं. पर मीडिया पर छा जाने की लिप्सा के चलते मुद्दा उछालना क्या साबित करता है. ?

3 टिप्‍पणियां:

  1. शंका हो जाये तो समाधान कर लेने में तो कोई बुराई नहीं?

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  2. सब से बडी हेरा फ़ेरी भी तो हमारे ही देश मै होती है, वोटो के लिये क्या क्या हथकंडे नही अपनाये जाते, फ़िर "इ वी एम का बवाल भी कोई बडी बात नही सब हो सकता है, ओर अगर शक है तो उसे चेक करने मै दिक्कत केसी,डर केसा? कहते है सांच को आंच नही.... लेकिन सिर्फ़ झुठे को डर होता है.

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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