तेवरी:
संजीव 'सलिल'
हुए प्यास से सब बेहाल.
सूखे कुएँ नदी सर ताल..
गौ माता को दिया निकाल.
श्वान रहे गोदी में पाल..
चमक-दमक ही हुई वरेण्य.
त्याज्य सादगी की है चाल..
शंकाएँ लीलें विश्वास.
नचा रहे नातों के व्याल..
कमियाँ दूर करेगा कौन?
बने बहाने हैं जब ढाल..
सुन न सके मौन कभी आप.
बजा रहे आज व्यर्थ गाल..
उत्तर मिलते नहीं 'सलिल'.
अनसुलझे नित नए सवाल..
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इसे दिव्य नर्मदा में भी पढिए
मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
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aapke kawia kee ridam wah subhan allaah
जवाब देंहटाएंबच्चा कभी पधारो हमरे ब्लॉग पे
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रवाहमय गीत!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत!
जवाब देंहटाएंवाह सुन्दर गीत बधाई सलिल जी को नमन उनकी कलम को
जवाब देंहटाएंनमन सभी को दे रहे, जो मुझको उत्साह.
जवाब देंहटाएंगुण ग्राहकता को नमन, दिल से रही सराह..
swami bhavishyanand ji ko shbdaanjali
जवाब देंहटाएंचिट्ठी के दिन लड़ गए, आया चिटठा-राज.
मुक्तानंद भविष्य के, स्वामी साजे साज..
मिली कैटरीना नहीं, दिल में है संताप.
'सदय मल्लिका हों' करें, माला ले कर जाप..
गिरी बिन नित्य गिरीश जी, लिए 'मुकुल' को संग.
ठीक-ठाक हैं देखकर, जगत हो रहा दंग..
तने जा रहे तनेजा, चुप राजीव ललाम. .
शर्मा शर्मा कर करें, युद्ध यहाँ बिन दाम..
चले समीरानंद जी, पकडे पतली राह.
रवि रावेंद्र तलाशते, मिलाती नहीं पनाह..
है संगीता जो पुरी, भय का वहां न लेश.
वाचस्पति अविनाश हैं, लिए उजाला शेष..
कोरी चादर श्याम की, 'उदय' हुआ अनुराग.
नेह नर्मदा निर्मला, कपिला बनीं प्रयाग..
'सलिल'-साधन सफल है, देखे जगत अवाक.
रखे डाह जो पाए वह,सचमुच कुम्भीपाक..
स्वामी जी को शिष्यगण, देते शुभ आशीष.
चिट्ठाकारी नित करो, भला करेंगे ईश..