11 जन॰ 2010

भारत ब्रिगेड का सपना और आकास्मिक अवकाश के लिये प्रार्थना पत्र

जबलपुर ब्रिगेड मे करीब ढेड़ दर्जन बि‍ग्रेडियरों की भ‍ार्ति हो चुकी है। मुझे सूचना मिली है कि कमान्‍डर साहब के पास काफी रिक्‍वेस्‍ट पेन्‍डिग पड़ी हुई है। कामान्‍डर महोदय से निवेदन है कि जबलपुर ब्रिगेड को भारत ब्रिगेड बनया जाये, क्‍योकि आज जबलपुर बिग्रेड का दायरा सिर्फ जबलपुर तक सीमित न होकर सम्‍पूर्ण भारत तक पहुँच गया है। अत: तुच्‍छ ब्रिगेडियर महाशक्ति का उक्‍त सुझाव पर विचार किया जाये और इसे भारत बिग्रेड का साकार रूप दिया जाये।

आज तक जबलपुर बिग्रेड मे निम्‍न सम्‍मानित ब्रिगेडियर के कारण ब्रिगेड अपनी शोभा बढ़ा रहा है
  1. जी.के. अवधिया
  2. VIJAY TIWARI " KISLAY "
  3. दिव्य नर्मदा
  4. लाल और बवाल (जुगलबन्दी)
  5. Doobe ji
  6. अविनाश वाचस्पति
  7. बवाल
  8. गिरीश बिल्लोरे 'मुकुल'
  9. बी एस पाबला
  10. समयचक्र
  11. महाशक्ति
  12. Udan Tashtari
  13. शरद कोकास
  14. Dipak 'Mashal'
  15. महफूज़ अली
  16. अजय कुमार झा
  17. Ankur Billore
  18. ललित शर्मा
किन्‍तु खेद हे कि कामान्‍डर समयचक्र, सर्व श्री बिगेडियर मुकुल, दिव्य नर्मदा, ललित शर्मा, बवाल, अविनाश वाचस्पति, डूबे जी, अंकुर बिल्‍लोरे, विजय तिवारी किसलय और महाशक्ति सहित कुल 10 बिग्रेडियरो द्वारा ही ब्रिगेड पर अपने अधिकारो का उपयोग करते हुये अपनी सेवाये ब्रिगे‍ड के लिये उपलब्‍ध करवाई है। बाकी ब्रिगेडियर अपने अधिकारो के प्रति सजग नही दिख रहे है। अत: सभी ब्रिगेडियर साहबान से अनुरोध है कि कम से कम अपने शस्‍त्रो का उपयोग महीने मे एक दो-बार कर ही ले, ताकि आपात स्थिति के समय कोई भी ब्रिगेडियर बहाने बाजी न करे।

आकास्मिक अवकाश के लिये प्रार्थना पत्र
कामान्‍डर महोदय मुझे अनिश्चित कालीन आकास्मिक अवकाश देने का कष्‍ट करे, मै वर्तमान समय मे सक्रिय ब्रिगेडियर के रूप से अपनी सेवाये दे पाने असक्षम हूँ। अपने अवकाश काल के दौरान जब कभी कामान्‍डर अथवा मेरे वरिष्‍ठ ब्रिगेडियर द्वारा मुझे किसी काम के लिये आदेशित किया जायेगा, जहाँ तक सम्‍भव हो सकेगा मै उपलब्‍ध रहेने का प्रयास करूँगा।

ब्रिगेडियर महाशक्ति

2 टिप्‍पणियां:

  1. आवेदन
    प्राप्त /
    सही
    /g.k.billore
    आवक क्रमांक ०१

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  2. बहुत उम्दा फ़ैसला है। बस आगे चलकर उठा-पटक ब्रिगेड ना बने इस आशा के साथ।

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!