21 जन॰ 2010

न तुम उदास हो , ना तुम निराश हो.

न तुम उदास हो ,
ना तुम निराश हो.
जीने की राह में
दोस्तों के साथ हो..

जीत में भी हार में भी,
प्यार में भी रार में भी.
मन को न निराश करो,
खुश दिल मिजाज़ बनो..

न तुम स्वयं के लिए जियो,
जियो तो कम से कम आपनो के लिए.
न कभी खुद निराश हो,
न कभी अपनों को निराश करो..

जिन्दगी तो God Gift है,
न जियो आप अपने लिए सही
जियो तो सही हमारे लिए,
हम भी तो आपके ही है..

1 टिप्पणी:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!