
सुभाष चंद बोस का जबलपुर प्रवास पॉंच बार हुआ है . स्वतंत्रता के पूर्व सारा देश अंग्रेजो से त्रस्त था . स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित होने वाले वीर क्रांतिकारियो को चुन चुन कर अंग्रेजो द्वारा जेलों में डाला जा रहा था . नेताजी ने भूमिगत होकर अंग्रेजो से लोहा लिया और आजाद हिंद फौज का गठन किया . सबसे पहले सुभाष जी को पहली बार 30 मई 1931 को गिरफ्तार कर जबलपुर स्थित केन्द्रीय जबलपुर ज़ैल लाया गया और यहं उन्हें बंदी बनाकर रखा गया जहाँ की सलाखें आज भी उनकी दास्ताँ बयान कर रही है .. दूसरी बार 16 फ़रवरी 1933 को तीसरी बार 5 मार्च 1939 को त्रिपुरी अधिवेशन मे सुभाष जी का बीमारी की हालत मे नगर आगमन हुआ था.
सन १९३९ में जब कांग्रेस का अध्यक्ष पद चुनने का समय आया तो जबलपुर शहर के पास में स्थित तिलवाराघाट में त्रिपुरी कांग्रेस के अधिवेशन में गांधीजी ने नेताजी को इस पद से हटाने का मन बना लिया था और अपना उम्मीदवार सीतारमैय्या को अध्यक्ष पद के लिए अपना उमीदवार घोषित किया . इस प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव में गाँधी खुद त्रिपुरी नहीं आये थे और उस चुनाव में नेताजी ने सीतारमैय्या को २०३ मतों से पराजित किया था . नेताजी सुभाष चंद बोस की जीत से महात्मा गाँधी इतने बौखला गए थे की उन्होंने अपने समर्थको से कह दिया की यदि नेताजी के सिद्धांत पसंत नहीं हैं तो वे कांग्रेस छोड़ सकते है . चौथी और अंतिम बार सुभाष जी 4 जुलाई 1939 को नेशनल यूथ सम्मेलन की अध्यक्षता करने जबलपुर आये थे .. सारा देश और यह जबलपुर शहर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महान देश भक्त का हमेशा कृतज्ञ रहेगा .
आज ऐसे शूरवीर क्रन्तिकारी स्वतंत्रता संग्राम योद्धा नेताजी सुभाष चंद बोस का जयंती के अवसर पर स्मरण करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए शत शत नमन .
युवा पीढी को जानकारी देने के उद्देश्य से
आलेख - महेंद्र मिश्र
जबलपुर.
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23 जनवरी - नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंयती पर है प्रण, इस वर्ष होगा अन्याय और भ्रष्टाचार से रण।
जवाब देंहटाएंआपके आलेख ने हमें अभिभूत किया है जी
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