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12 जन॰ 2010

श्याम साकल्ले जी की कलम से


 
 
 
नागपुर से प्रकाशित नर्मदा भारती में श्री स्याम साकल्ले (हरदा मध्य-प्रदेश ) का आलेख मंडलेश्वर के सम्बन्ध में सादर प्रस्तुत है
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इस चर्चा पर भी नज़रें रखिये जी हाँ ये हैं अलबेला खत्री  जो ब्लॉग पर  भी चुटकी लेते हैं

3 टिप्‍पणियां:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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