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17 मार्च 2010

ब्लॉग में अपार संभावनाएं हैं : कनिष्क कश्यप



The Representative Voice of 
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ब्लॉगप्रहरी के कल्पनाकार कनिष्क कश्यप से हुई भेंट वार्ता सादर सुधि श्रोताओं के लिए सादर प्रस्तुत है ''संवाद एवं विमर्श'' पर इधर  पेश  है  .

4 टिप्‍पणियां:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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