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23 मार्च 2010

अश्लीता को बढा रहा है इलैक्ट्रानिक मीडिया :लिमिटि खरे

''आभास जोशी से एक मुलाक़ात''  के बाद आज़ लिमिटी खरे  जी से खुल के बातचीत हुई.

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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