सव्यसाची कला ग्रुप को उत्साहित और प्रेरित कर रही है पिछले बरस की यादें जो बावरे फकीरा की लांचिंग 14 मार्च 2009 से बाबस्ता हैं हम कर रहें हैं नए एलबम की तैयारी आप भी कीजिये तैयारी के लिए यदि प्रतिभा वान और मेहनती गायक हैं है, तो भेजिए एम पी थ्री फ़ाइल में 3 मिनिट अधिकतम कोई गीत मेल के ज़रिये और पाइए एक मौका छा जाने का
आभास जोशी के स्वरों में साईं भाव गीत बावरे-फकीरा एलबम के बाद अब शीघ्र ही सव्यसाची कलाग्रुप अपने एलबम की तैयारी में है. हमें अपने स्वरों में किसी गैर फ़िल्मी गीत की ३ मिनिट की एम् पी ३ फ़ाइल मेल कीजिये चुने हुए प्रतिभागी को गाने का अवसर ज़रूर दिया जावेगा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!