राहो मे पलके बिछा कर
तेरा इंतजार कर रहा हूँ।
अपनी चाहत को तेरे दिल मे बसा कर
अपना इश्क-ए-इज़हार कर रहा हूँ।
चाहत को अपनी चाह कर भी,
इज़हार नही कर पा रहा हूँ।
तेरी चाहत मे दिल मे दर्द लेकर
अपने को दिल को दर्द दे रहा हूं।
मै तुम्हे देखता हूँ
देखता ही रह जाता हूँ।
मै जहाँ जाता हूँ
सिर्फ तुझे ही पाता हूँ।।
मै अपने प्यार को खुद मार रहा हूँ ,
चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा हूँ।
काश कोई करिश्मा हो जाये,
सारे बंधन तोड़ कर हम एक हो जाये।।
तेरा इंतजार कर रहा हूँ।
अपनी चाहत को तेरे दिल मे बसा कर
अपना इश्क-ए-इज़हार कर रहा हूँ।
चाहत को अपनी चाह कर भी,
इज़हार नही कर पा रहा हूँ।
तेरी चाहत मे दिल मे दर्द लेकर
अपने को दिल को दर्द दे रहा हूं।
मै तुम्हे देखता हूँ
देखता ही रह जाता हूँ।
मै जहाँ जाता हूँ
सिर्फ तुझे ही पाता हूँ।।
मै अपने प्यार को खुद मार रहा हूँ ,
चाह कर भी कुछ नही कर पा रहा हूँ।
काश कोई करिश्मा हो जाये,
सारे बंधन तोड़ कर हम एक हो जाये।।
मै अपने प्यार को खुद मार रहा हूँ ,
जवाब देंहटाएंचाह कर भी कुछ नही कर पा रहा हूँ।
काश कोई करिश्मा हो जाये,
सारे बंधन तोड़ कर हम एक हो जाये।।
--
सुन्दर रचना!
--
आपकी चाह जल्दी रूरी हो यही कामना है!
स्वभाविक है
जवाब देंहटाएंइज़हार हमेशा ज़रूरी है जी
ांच्छी कोशिश है अपनी भावनाओं को शब्दों मे उतारने की। धन्यवाद्
जवाब देंहटाएं