आज़ादी का मतलब मक़सद, तुम समझाने आ जाओ
घोटालों के भीड़ तंत्र को - त्याग सिखाने आ जाओ !!
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किसने किसको कैसे लूटा, किसने किसकी गरदन नापी
कुर्सी की लपटा-झपटी नित,सुबक रही है जनता प्यासी
क्योंकर तुम झूले फ़ंदे पे, ये बात बताने आ जाओ !!
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भूल गये हम त्याग तुम्हारा, ये आज़ादी कैसी है..?
लाज लुटाने पे आमादा, ये आबादी कैसी है..?
क्यों कर दी तुमने आज़ादी, इन्हैं बताने आ जाओ
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अपनी अपनी सबकी ढफ़ली,अपना अपना सबका राग
एक ओर बुझ ही पाती, दूजी ओर सुलगती आग !
बिखरे बिखरे इस भारत को- एक बनाने आ जाओ
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वाह क्या सुन्दर कल्पना है?
जवाब देंहटाएंएक बार बनाना होगा भारत, पुनः।
जवाब देंहटाएंभारत के लोगो की सोच बदलनी होगी, हम सब को मेरा मेरा नही हमारा हमारा सिखना होगा, आज हम छोटे छोटे दलो मे बंटे हे, हम सब को एक भाषा, एक झंडे के नीचे होना चाहिये बंद मुठ्ठी की तरह तभी मजबुत बनेगे... बहुत सुंदर बात कही आप ने धन्यवाद
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