26 मई 2012

खु़द को समिधा बनाके हवन कीजिये !!

 बेसबब  -बेवज़ह  न कथन कीजिये.
 कहिये थोड़ा, बहुत पर जतन कीजिये !
 हर जगह सर  झुकाना बुरी बात है…   
 सच जहां हो वहां ही नमन कीजिये !!
 यूं ही फ़ूलों का कब तक करोगे दमन
 कभी भीष्मशैया –शयन कीजिये…!!
         कम हुई जो हवन में समिधा कभी -
         खु़द को समिधा बनाके हवन कीजिये !!
        
                                     गिरीश बिल्लोरे ’मुकुल’


1 टिप्पणी:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!