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10 जन॰ 2013

मैथिली हाइकू : संजीव 'सलिल'

मैथिली हाइकू :
संजीव 'सलिल'
*
स्नेह करब
हमर मन्त्र अछि।
गले लगबै।
*
एहि  दुनिया
ईश्वर बनावल
प्रेम सं मिलु।
*
सभ सं प्यार  
नफरत करब
नs  ककरा से।
*
लिट्टी-चोखा
मधुबनी-मैथिली
बिहार गेल।
*
बिहारी जन
भगाएल जात
दोसर राज।
*
चलि पड़ल
विकासक राह प'
बिहारी बाबू।
*
चलय लाग
विकासक बयार
नीक धारणा ।
*
हम्मर गाम
भगवाने के नाम
लsक चलय।
*
हाल-बेहाल
जनता परेशान
मंहगाई सं।
*
लोकतंत्र में
चुनावक तैयारी
बड़का बात।
*

1 टिप्पणी:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

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