Ad

2 जुल॰ 2013

अभिव्यक्ति मे गुदगुदाते हास्यालेख

अंशुमान अवस्थीबेताल कथा
डॉ अखिलेश बार्चे झूठ के नामकरण
अगस्त्य कोहली

अजय कुमार गुप्ता 

अतुल चतुर्वेदी
नाटक की नौटंकी
सांस्कृतिक विरासत
रेलगाड़ी
पुलिसियाने में क्या हर्ज. है
अनुराग वाजपेयी
अनुज खरे
अनूप कुमार शुक्लाकुछ कुछ होता है
गुस्से में
ग्रीष्म ऋतु कुछ नए बिंब
चिंता करो सुख से जियो
दीपक से साक्षात्कारपहली अप्रैल का दिन
फटाफट क्रिकेट और चीयर बालाएँ
बच्चा हाई स्कूल मे
भीगे चुनर वाली
रामू! जरा चाय पिलाओ
वनन में बागन में बगर्‌यो बसंत . . . 

हिंदी की स्थिति
है किसी का नाम गुलमोहर

होना चीयर बालाओं का
अमिताभ ठाकुरउसका पसंदीदा देश
अभिनव शुक्लअमलतास बोले तो? विभीषण की सरकार
अभिरंजन कुमार
अमृतरायनया साल मुबारक
डॉ. अरुणा शास्त्रीरहिए ऐसी जगह जहाँ कोई न हो
अलका चित्रांशीदाद ए बगदाद
अलका पाठकआखिर ऐसा क्यों होता है?
शिखर वार्ता
अविनाश वाचस्पति
अब मैं रिक्‍शा खरीद ही लूँ
अचार में चूहा
आतंकवादी की नाक खतरे में
ओबामा ने मारी मक्खी
काले का बोलबाला
क्रोध करिए काम पर चलिए
खुशी का ठिकाना

दाल गल रही है
बैटरी चार्ज करने को दिल उधार

भिखारियों से भेदभाव क्यों
मैच फ़िक्सिंग के रिमिक्रोके रुके न हिंदी
श्मशान घाट का इंडेक्स यमराज के हवाले

शेयरों की लगी वाट और क्रिकेटरों के हो गए ठाठ
सकारात्मक दृष्टिकोण
अशोक गौतमइस दर्द की दवा क्या है
चल वसंत घर आपणे
परेशान पड़ोसी

रिश्वतमृतमश्नुते
हाय रे मेरे भाग
अशोक चक्रधरसपनों का होमरूम थिएटर जय हो की जयजयकार
काव्य कामना कामदेव की 
सारा डेटा पा जाएगा बेटा
अशोक स्वतंत्रहे निंदनीय व्यक्ति
आशीष अग्रवाल
इंद्र अवस्थीआइए अपनी नेशनल लैंगुएज को रिच बनाएँ
इला प्रसाददर्द दिखता क्यों नही
ईश्वरसिंह चौहानरति का भूत
उमाशंकर चतुर्वेदीदीपक की व्यथा–कथा
बीमार होना बड़े अफ़सर का
उमेश अग्निहोत्रीअमेरिका में गुल्ली डंडा 
अमेरिका में दर्पण मैं और फेसबुक
काका हाथरसीप्यार किया तो मरना क्या
कृष्ण कुमार अग्रवालइस हमाम में
कृष्ण मोहन मिश्रमेरा पुष्पक विमान
के पी सक्सेनादग़े पटाखे की महक
गिरीश पंकजचार निलंबितों की वार्ता
गिरीश बिल्लोरे मुकुलउफ ! ये चुगलखोरियाँ
फुर्सत के रास्ते
गोपाल चतुर्वेदी
गोपाल प्रसाद व्यास
डॉ. गोपाल बाबू शर्मा
गुरमीत बेदी
अजूबे और भी हैं इंडिया में
अपुन आजकल नाराज़ चल रहे हैं
अपुन का ताज़ा एजेंडा!
ऊँट किस करवट बैठेगा
काश! हम भी कबूतरबाज़ होते
इटली के लड्डूइतने पदक कैसे?गधा विवाद में नहीं पड़ता
देशी हाथ बनाम विदेशी हाथ 
बंदरों ने किताबें क्यों फाड़ी
बीटी बैंगन बनाम देसी बैंगन
प्री-मैच्योर रिटायरमेंट लेकर अपुन क्या करेगा!
मेरे पास भी है एक सी डीमैं कुत्ता और इंटरनेट
ये टैक्स भी लगाओ नासंभावनाएँ बहुत हैं...!
सपने में साक्षात्कार
सावधान बंदर सीख रहे हैं हमारी भाषा

सारी खुदाई एक तरफ़
डा गौतम सचदेवईश्वर से प्रेम 
भारतीय भ्रष्ट संघ का भारत बंद
जवाहर चौधरीकानून का पेट ख़ाली है
कामरेड की लंगोट
पधारो ‘जी’ म्हारा देस
डॉ. टी महादेव रावबिन सेलफोन सब सून
तरुण जोशीजिस रोज़ मुझे भगवान मिले
तेजेन्द्र शर्मादेवलोक से दिव्यलोक
तोताराम चमोलीनिरख सखी फिर फागुन आया
दामोदर दत्त दीक्षितधूर्तराज का पुनराभिषेक
दिनेश थपलियालकिस्सा कहावतों का
देवेन्द्र इन्द्रेश
वी.आई.पी. कबूतर
दीपक दुबे
दीपक राज कुकरेजापेन माँगने में शर्म नहीं आती!
दुर्गेश गुप्त ''राज``
मैं आदमी हूँ और आदमी ही रहूँगा
भारतदीपविरह में व्यंग्य
धीरेन्द्र वर्माहॉस्टल में वार्डन से मुठभेड़
धीरेन्द्र शुक्लाखेल घोटालों का
डॉ. नरेन्द्र कोहलीअग्निपरीक्षाअड़ी हुई टाँग 
अपहरण
आज्ञा न मानने वालेउदारता
खाली करनेवाले
खुदाई
जनतंत्र 
टाई
कट्टरताकुतुबमीनार
जनतंत्र
नया साल मुबारक हो
फंदा
बहुसंख्यक होने का अर्थभोंपू
मानव आयोग
मानवाधिकारलंदन का कोट
लोकार्पण
वह कहां है
विदेशी
शताब्दी एक्सप्रेस का टिकट
शोषण के विरुद्ध 
सेवा वंचित
हाहाकार
नवीन चंद्र लोहानीमुक्त मुक्त का दौर वाह डकैत हाय पुलिस
नित्य गोपाल कटारे शास्त्रीफैशन शो में गिरते परिधान
निशांत कुमारदौरा
नीरज शुक्लाकबिरा खड़ा गोष्ठी में
नीरज त्रिपाठीनव वर्ष का अभिनंदनहमारे पतलू भाई
नीरज दीवानकैमिकल लोचा... हे राम
पराशर गौड़
पवन चंदनझाँको, खूब झाँको, झाँकते रहो
पीयूष पांडेक्यों न मना सका गब्बर होली
प्रतिभा सक्सेना भगौने में चम्मच
प्रदीप मैथानीहम ऐसे क्यों हैं
प्रमोद ताम्बट
प्रमोद रायबॉस मेहरबान तो गधा पहलवान
डा प्रेम जनमेजयअँधेरे के पक्ष में उजाला
अध्यक्षस्य प्रथम दिवसे आँधियों का मौसम कन्या-रत्न का दर् तुम ऐसे क्यों आयीं लक्ष्मी पुरस्कारम देहि माथे की बिंदी मैया, मोही विदेस बहुत भायो ये पीड़ित जनम जनम के
राधेलाल का कुत्ता

राम! पढ़ मत, मत पढ़ हिंदी के शहीद
हे देवतुल्य ! तुम्हें प्रणाम
पूर्णिमा वर्मनगर्मी फिर आ गई सजनी
पूरन सरमामरना ऑफ़िस कंपाउंड में काली भैंस का
फ़कीरचंद शुक्लातुम्हारी कसम डार्लिंग
बसंत आर्यविश्वकप का बुखार
ब्रजेन्द्र श्रीवास्तव 'उत्कर्ष'फिर गिरी छिपकली
डॉ. बालकरण पाल
बाला दुबेग़ालिब बम्बई में 
भारत भूषण तिवारीपहला विज़िटिंग कार्ड
भूपेंद्र सिंह कटारियाहमारे नेताजी
मधुलता अरोराये साहित्य समारोह
मनजीत शर्मा मीरामहँगाई मार गई
मनोज लिमयेमेरे शहर की मॉल संस्कृति
मनोहर पुरीआप स्वर्ण पदक क्यों लाए
क्यों करें इंडिया को भारत तोहफ़ा टमाटरों का
गरीबों की संसद
गोलगप्पे में शराब
पुस्तक मेले में लोकार्पण
प्याज और ब्याज
भ्रष्टाचार बिना बिचौलिया
भ्रष्टाचार हटाने की जरूरत क्या है
सदन में चिल्लाने का अधिकार
सरकारी इकबाल कमाल है कमाल
स्वागत बराक ओबामा का

हो के मजबूर मुझे उसने उठाया होगा
मयंक सक्सेनामूर्ख बने रहने का सुख यथा राष्ट्र, तथा पुष्प
महेशचंद्र द्विवेदी
अंकल माने चाचा, ताऊ या बाबा 
ऑपरेशन मंजनू और मुसीबत लैला की
किस्सा टैक्स का
कुत्ते का गला
कौन किसका बाप
ग्रे हाउंड से एटलांटा लुइविल सिनसिनाटीजिसे मुर्दा पीटे उसे कौन बचाए
दाढ़ी पर गाज
न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी
नौ और ग्यारह
मुफ्त को चंदन
प से पोटो प से पोटा
मेरी प्रेमिका को लाओ¸ कार पाओ
लॉ एण्ड आर्डर
वोटर लिस्ट में नाम न होने का सुख 
सू पुराण
हकीम नुसर की खुसर पुसर
हरभजन सिंह का जूता 

हॉलीवुड बनाम बॉलीवुड
महेश सांख्यधरजिन लूटा तिन पाइयाँ
मुरली मनोहर श्रीवास्तवएक करोड़ जनता और एक मिस इंडिया? ...
एक महान व्यक्ति की आत्मकथा
मृदुल कश्यपपरमाणु बिजली और हैरतगंज के पेलवान जी
यश मालवीयलेट गाड़ी और मुरझाता हार
यशवंत कोठारीमेरी असफलताएँ
क्रिकेट ऋतुसंहार
योगेश अग्रवालहंगामा देवलोक में
रतनचंद रत्नेशटीवी में गरीबी कहाँ
रमाशंकर श्रीवास्तवतारीफ़ भी एक बला है
देशभक्ति और सरसों का साग
र श केलकरलेखक और नारी
रविशंकर श्रीवास्तव 'रवि रतलामी'आरक्षित भारत सन–२०१०कैसे कैसे शब्दजाल
नया साल नये संकल्प

(उ)-ई मेलमैच के समय ध्यान रखें
रवीन्द्र कुमारदाखिला अँग्रेजी स्कूल में
रवींद्रनाथ त्यागी
रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापतिकुर्ता-पायजामा पहनने के लाभ
राकेश शर्माकोई जूते से न मारे
राज चड्ढाआग तापने का सुख
राजेन्द्र त्यागीइंसान के दुश्मन वैज्ञानिक
बापू के बंदर राष्ट्र की मुख्यधारा में
बुद्धिजीवी बनाम बुद्धूजीवी 
भ्रष्टाचार में शिष्टाचार का समावेश... 
भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा
राजनीति और मूँछ
राजनीति में पालतू
राजनीति, इज़्ज़त और कीचड़

संसद में बंदर
सत्ता सुखोपभोग करो मंदोदरी
होली दो पाटन के बीच में हो ली
रामकिशन भँवर
रामनारायण सिंह मधुरखर्च हुए वर्ष के नाम
डॉ. राम प्रकाश सक्सेनामौसम है फ़ीलगुडयाना
रामवृक्ष सिंहआक्टोपस बाबा पधारो म्हारे देस
कसम का टोटका
रामेश्वर कांबोज 'हिमांशु'
राजर्षि अरुणकाश दिल घुटने में होता
कुत्ता
रेखा व्यासथैंक्यू सॉरी और हाई बाई 
विजय अग्रवाल
विजय ठाकुर
विनय कुमार
आधुनिक समीक्षा 
हमारी साहित्य गोष्ठियाँ
कुत्ते की आत्मा
विजी श्रीवास्तवसच का सामना में गांधी जी का बंदर
विनोद विप्लवकुर्सी में जान डालने की तकनीक
सच की नगरी और चोरों का राजा
विनोद कुमार सिनंदी
विनोद शंकर शुक्ल
आजकल के चमचे
भारतीय रेल : सारे जहाँ से अच्छी

शहर में वसंत की तलाश
वीरेंद्र जैनगरमी के खिलाफ़ मौसम मंत्री का बयान पागलपन के पक्ष में
पानी बचाओ आंदोलन 

प्रायोजित विशेषांक
ख़ास बनने का नुस्ख़ा
ये अखबार निकालने वाले
लेखक पत्नी संवाद
पं. वेदप्रकाश शास्त्रीमेरा करवाचौथ का व्रत
श्यामसुंदर घोषतकिया
नेताजी का भाखा प्रेम
शरद उपाध्यायसाहब का जाना
शंभुनाथ सिंहबाजार में निकला हूँ
शरद जोशीअथ श्री गणेशाय नम:
एक भूतपूर्व मंत्री से मुलाकात

नेतृत्व की ताकत
यह बंगला फिल्म
शरद तैलंगजीवन दो दिन का
झूठे का बोलबाला
मुझको भी तो जेल करा दे
शुभकामनाएँ नए साल की
शास्त्री नित्य गोपाल कटारेअमलतास की तलाश
वे बच्चे नहीं रहना चाहते
भोलेनाथ की सरकार व्याख्याग्लोबल वार्मिंग से त्रस्त कैलाशपति
शिल्पा अग्रवालश्री गणेश के साक्षात दर्शन
डा शिवदेव मन्हासक्रिकेट के बारे में
शैल अग्रवालहिन्दी–मैया–एक परी–पुराण चुटकी गुलाल की
शैली खत्रीबादल छँट गए
संजय ग्रोवरअकादमी अनुदान और लेखक
एक कॉलम व्यंग्य 
मरा हुआ लेखक सवा लाख का
राष्ट्रप्रेम
संतोष खरेधूप का चश्मा
संजय पुरोहितलोन ले लो...लोन
समीरलाल समीरकड़वा वाला हनी
डॉ. सरोजिनी प्रीतमनमकहीन नमकीन
सुधारानी श्रीवास्तवबुढ़ापे को प्रेम सच्चो होत है 
सुधीर ओखदेमनीप्लांट
सुबोध कुमार श्रीवास्तव
गणेशीलाल का गमछा प्रेम
सुरेन्द्र सुकुमार
जूतों का महत्त्व
सूरज प्रकाशनया साल कुछ ऐसा हो
स्नेह मधुरकैसे कैसे अभिनंदन समारोह
मूँछ, नाक और मनोबल
हरि जोशी
हरिशंकर परसाईंआध्यात्मिक पागलों का मिशन
एक मध्यवर्गीय कुत्ता
खोज एक देशभक्त कवि की
ठिठुरता हुआ गणतंत्र

नया साल 
भोलाराम का जीव
हरिहर झाभारतीय छात्र जाएँ भाड़ में
त्रिभुवन पांडेयललित निबंध होली पर
ज्ञान चतुर्वेदी


अभिव्यक्ति से साभार 
मूर्खता में ही होशियारी है
रामबाबू जी का वसंत

लिन्क 
http://www.abhivyakti-hindi.org/vyangya/

2 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया और पढने योग्य संकलन ..कुछ ले जा रहा हूँ पढने के लिए !
    आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छा लगा अपने आप को यहाँ देख कर .धन्यवाद ...
    मेरी और भी रचनायें पाठकों को उपलब्ध कराएं..आप का आभार
    सुधीर ओखदे

    जवाब देंहटाएं

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

Free Page Rank Tool

यह ब्लॉग खोजें