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16 मई 2014

hindi par garv

सन्देश; हिंदी पर गर्व करें, न बोल सकें तो शर्म
*
हिंदी आता माढ़िये, उर्दू मोयन डाल
'सलिल' संस्कृत सान दे, पूड़ी बने कमाल
*



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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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