छंद सलिला:
विष्णुपदछंद
संजीव
*
*
छंद लक्षण: जाति महाभागवत, प्रति पद २६ मात्रा,
यति१६-१०, पदांत गुरु
लक्षण छंद:
सोलह गुण आगार विष्णुपद , दस दिश बसें रमा
अवढरदानी प्रभु प्रसन्न हों , दें आशीष उमा
अवढरदानी प्रभु प्रसन्न हों , दें आशीष उमा
गुरु पदांत शोभित हो गुरुवत , सुमधुर बंद रचें
भाव बिम्ब लय अलंकार रस , सस्वर छंद नचें
उदाहरण:
१. भारत माता की जय बोलो , ध्वज रखो ऊँचा
कोई काम न ऐसा करना , शीश झुके नीचा
कोई काम न ऐसा करना , शीश झुके नीचा
जगवाणी हिंदी की जय हो , सुरवाणी बोलो
हर भाषा है शारद मैया , कह मिसरी घोलो
२. सारी दुनिया है कुटुंबवत , दूर करो दूरी
भाषा-भूषा धर्म-क्षेत्र की , क्यों हो मजबूरी?
दिल का दिल से नेता जोड़ो , भाईचारा हो
सांझी थाती रहे विरासत , क्यों बँटवारा हो? दिल का दिल से नेता जोड़ो , भाईचारा हो
३. जो हिंसा फैलाते उनको , भारी दंड मिलें
नारी-गौरव के अपराधी , जीवित नहीं बचें
ममता समता सदाचार के , पग-पग कमल खिलें
रिश्वत लालच मोह लोभ अब, किंचित नहीं पचें ममता समता सदाचार के , पग-पग कमल खिलें
*********
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अनुगीत, अरुण, अवतार, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उड़ियाना, उपमान, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, कुकुभ, कज्जल, कामरूप, कामिनीमोहन, काव्य, कीर्ति, कुण्डल, कुडंली, गीता, गीतिका, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, चंद्रायण, छवि, जग, जाया, तांडव, तोमर, त्रिलोकी, दिक्पाल, दीप, दीपकी, दोधक, दृढ़पद, नित, निधि, निश्चल, प्लवंगम्, प्रतिभा, प्रदोष, प्रभाती, प्रेमा, बाला, भव, भानु, मंजुतिलका, मदनअवतार, मदनाग, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, मृदुगति, योग, ऋद्धि, रसामृत, रसाल, राजीव, राधिका, रामा, रूपमाला, रोला, लीला, वस्तुवदनक, वाणी, विरहणी, विशेषिका, विष्णुपद, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, शोभन, शंकर, सरस, सार, सारस, सिद्धि, सिंहिका, सुखदा, सुगति, सुजान, सुमित्र, संपदा, हरि, हेमंत, हंसगति, हंसी)
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!