13 सित॰ 2015

रचनात्मक लेखन की प्रोफ़ेसर नीलांजना सुदेशना को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने किया सम्मानित


वॉशिंगटन में  10 सितम्बर 2015 को  भारतीय मूल की अमेरिकी रचनाकार नीलांजना सुदेशना लाहिड़ी को  प्रेस्टीजियस नेशनल ह्यूमैनिटीज मेडल से गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सम्मानित किया . नीलांजना जिन्हें  झुंपा के नाम से जाना जाता है  को यह सम्मान भारतीय अमेरिकियों के अनुभव की  सर्वोत्तम  प्रस्तुति के  के लिए प्रदत्त  गया है । 48 वर्षीय झुंपा पुलित्जर अवॉर्ड से भी नवाजी जा चुकी हैं। ओबामा ने कहा उनको सम्मानित करते हुए कहा कि-इन्हें यह अवॉर्ड इसलिए नहीं दिया गया है कि झुम्पा ने अपने अनुभव से जुड़े सच को उजागर किया है वरन उनको सम्मान  इसलिए दिया गया है, क्योंकि उन्होंने आम लोगों के अनुभवों  का सच्चाई के साथ बयान किया है। एकदम वैसा जैसा कि एक अमेरिकी और इंसान होने पर हम महसूस करते हैं...।
व्हाइट हाउस की ओर से झुंपा की तारीफ में कहा गया, “झुंपा ने लेखन के जरिए भारतीय-अमेरिकियों के एक्सपीरियंसेज को खूबसूरती से बयान किया है ।
इस सम्मान समारोह में कला एवं संस्कृति से जुड़ी कई मशहूर हस्तियां मौजूद थीं । अमेरिका की प्रथम महिला श्रीमति मिशेल ओबामा भी इस अवसर पर उपस्थित थीं . 1996 से जारी ये सम्मान कला-संस्कृति-लेखन सहित अन्य कई  क्षेत्रों की प्रतिभाओं को प्रदान किये जाते हैं इस वर्ष   163 लोगों और 12 संगठनों  को सम्मान दिए गए । झुम्पा को उनके लघुकथा संग्रह इंटरप्रेटर ऑफ मालाडीज के लिए 2000 में पुलित्ज़र एवार्ड एवं  बुक द लोलैंडको मैन बुकर प्राइज के लिए प्रस्तावित  किया जा चुका है ।

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!