मुझे साल-दर-साल
ये व्रत
सालता रहा
........
आज मन खुश है...
तुमने उपवास तोड़
मानवीय काम किया
है......
अगर ये उपवास तुम
कश्मीर के निर्वासितों को लेकर करतीं
तो साल-दर-साल
तुम्हारा व्रत
मुझे शायद न सालता !!
इरोम तुम्हारी जीवटता को नमन .....
हरेक के मानवाधिकार की रक्षा
के लिए
संकल्प लेना ...... अब पर अन्न न छोड़ना ......
सेना ....... देश की रक्षा के लिए ज़रूरी है..
इरोम तुम्हारी जीवटता को नमन .....
हरेक के मानवाधिकार की रक्षा
के लिए
संकल्प लेना ...... अब पर अन्न न छोड़ना ......
सेना ....... देश की रक्षा के लिए ज़रूरी है..
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 'श्रद्धांजलि हजार चौरासी की माँ को - ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
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