तुम चुप क्यों हो कारण क्या है
गुमसुम क्यों हो कारण क्या है ?
जलते देख रहे हो तुम भी प्रश्नव्यवस्था के परवत पर
क्यों कर तापस वेश बना के, जा बैठै बरगद के तट पर
हां मंथन का अवसर है ये स्थिर क्यों हो कारण क्या है ?
अस्ताचल ने भोर प्रसूती उदयाचल में उभरी शाम
निशाआचरी संस्कृति में नित उदघोषवयंरक्षाम !
रावण युग से यह युग आगे रक्षपितामह रावण क्या है ?
एक दिवंगत सा चिंतन ले, चेहरों पे ले बेबस भाव ।
व्यवसायिक कृत्रिम मुस्कानें , मानस पे है गहन दबाव ।
समझौतों के तानेबाने क्यों बुनते हो कारण क्या है ?
भीड़ तुम्हारा धरम बताओ, रंग बदलते गिरगिट के जैसा ।
किस किताब से निकला है ये- धर्म तुम्हारा किस के जैसा ।।
हिंसा बो विद्वेष उगाते फ़िरते हो क्यों, कारण क्या है ?
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 29 दिसम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रश्नवाचक रचना।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंउद्वेलित इतने क्यूँ हो, कारण क्या है?
जवाब देंहटाएंये आक्रोश ये नाराज़गी, दिखती है जो तुम्हारे काव्य में,
खुलकर नाम बता दो उनके, क्या कुछ हल है इन हालातों के
उन पर क्यूँ चुप्पी साधे सब, तुम भी चुप हो कारण क्या है?
सबका, हाँ सबका 'सबका यूं वो प्रिय 'सरोज' है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!'
जवाब देंहटाएंकितने भी आंधी तूफां आ जाए, बादल बरसे, तुषारपात् हो जाए
एक अकेला सरोज खिल, रूप निखार देता है ताल का.... और यह तो सिंह-सा साहसी भी है 😌🙏
उफ्फ मेरी टिप्पणी कहाँ गई?
जवाब देंहटाएंसबका, हाँ सबका 'सबका यूं वो प्रिय 'सरोज' है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!'
जवाब देंहटाएंकितने भी आंधी तूफां आ जाए, बादल बरसे, तुषारपात् हो जाएसबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!
एक अकेला सरोज खिल, रूप निखार देता है ताल का.... और यह तो सिंह-सा साहसी भी है 😌🙏