सीएनएन की इस बेखौफ रिपोर्टर को बधाई देनी चाहिए। यूं तो हालात बेहद गंभीर नाजुक है . तालिबान जहां एक और विश्व समुदाय के सामने अपने आप को पाक साफ साबित करने लिए निरंतर कोशिश कर रहा है वहीं दूसरी ओर बस्तियों में कहर जारी है। हो सकता है कि वीडियो क्लिप जो आपके मोबाइल तक पहुंच रहे हैं उसमें कुछ परिवर्तन हो। परंतु पूरी तरह अविश्वसनीय नहीं कह सकते। डिजिटल कम्युनिकेशन के दौर में ना तो इश्क छुपता और ना ही मुश्क़ अब तो कुछ भी नहीं छुप सकता है . इस बीच भारत के एक कवि जो अक्सर पारिवारिक रिश्तो पर खूबसूरत नज़्में ग़ज़लें और दोहे लिखा करते हैं तालिबान को लेकर बेहद संजीदा और उनके पक्षधर हो चले हैं। क्योंकि मैं उन्हें हाइप नहीं देना चाहता इसलिए उनके नाम का जिक्र नहीं कर रहा हूं इसके अलावा ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने तालिबान के लिए मुबारकबाद भेजी हैं और दिली तौर पर वे खुश भी हैं । मित्रों भारत सरकार जब तक अपनी ओर से कोई अधिकारिक बयान नहीं दे देती तब तक हर हिंदुस्तानी नागरिक का दायित्व होता है कि उसे तालिबान के हक में बोलना ही नहीं है। वैसे भी कभी भी भारतीय अंतर्राष्ट्रीय पॉलिसी के मुताबिक हम किसी भी अतिवादी विचारधारा को समर्थन नहीं देते हैं चाहे वह कोई भी हो। परंतु एक सांसद सहित बहुतेरे उन लोगों के बयान सुनकर अचरज में पड़ गया कि लोग क्यों इस तरह से जीभ और तालू के बीच की दूरी मिटाने पर आमादा है। बोलने के लिए बहुत सारी विषय हैं जिससे समाज का भला हो सकता है। घर बैठकर तालिबान के संदर्भ में जुबान चलाकर एनवायरमेंट को दूषित करने की कोशिश हमेशा बेवकूफी के अलावा कुछ नहीं।
मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
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20 अग॰ 2021
विपरीत परिस्थिति में वक्तव्य जारी करना मूर्खता है
सीएनएन की इस बेखौफ रिपोर्टर को बधाई देनी चाहिए। यूं तो हालात बेहद गंभीर नाजुक है . तालिबान जहां एक और विश्व समुदाय के सामने अपने आप को पाक साफ साबित करने लिए निरंतर कोशिश कर रहा है वहीं दूसरी ओर बस्तियों में कहर जारी है। हो सकता है कि वीडियो क्लिप जो आपके मोबाइल तक पहुंच रहे हैं उसमें कुछ परिवर्तन हो। परंतु पूरी तरह अविश्वसनीय नहीं कह सकते। डिजिटल कम्युनिकेशन के दौर में ना तो इश्क छुपता और ना ही मुश्क़ अब तो कुछ भी नहीं छुप सकता है . इस बीच भारत के एक कवि जो अक्सर पारिवारिक रिश्तो पर खूबसूरत नज़्में ग़ज़लें और दोहे लिखा करते हैं तालिबान को लेकर बेहद संजीदा और उनके पक्षधर हो चले हैं। क्योंकि मैं उन्हें हाइप नहीं देना चाहता इसलिए उनके नाम का जिक्र नहीं कर रहा हूं इसके अलावा ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने तालिबान के लिए मुबारकबाद भेजी हैं और दिली तौर पर वे खुश भी हैं । मित्रों भारत सरकार जब तक अपनी ओर से कोई अधिकारिक बयान नहीं दे देती तब तक हर हिंदुस्तानी नागरिक का दायित्व होता है कि उसे तालिबान के हक में बोलना ही नहीं है। वैसे भी कभी भी भारतीय अंतर्राष्ट्रीय पॉलिसी के मुताबिक हम किसी भी अतिवादी विचारधारा को समर्थन नहीं देते हैं चाहे वह कोई भी हो। परंतु एक सांसद सहित बहुतेरे उन लोगों के बयान सुनकर अचरज में पड़ गया कि लोग क्यों इस तरह से जीभ और तालू के बीच की दूरी मिटाने पर आमादा है। बोलने के लिए बहुत सारी विषय हैं जिससे समाज का भला हो सकता है। घर बैठकर तालिबान के संदर्भ में जुबान चलाकर एनवायरमेंट को दूषित करने की कोशिश हमेशा बेवकूफी के अलावा कुछ नहीं।
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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!