उपलब्धियां जब कभी सिर पर चढ़कर कत्थक करने लगे तो जानिए आप अपने मूल व्यक्तित्व से अलग होते चले जा रहे हैं। उपलब्धियां भ्रमित कर देती हैं पर बहुत सी शख्सियत ऐसी भी होती हैं जिनके सर पर उपलब्धियां न सवार हो पाती न कत्थक कर पाती उनमें एक नाम मेरे अभिमनोज सर का है.. !
अब आप सोच रहे होंगे कि मैंने मेरे अभी
मनोज सर क्यों कहा ?
स्वभाविक है, यह
प्रश्न ! इसका जवाब इस तरह दूंगा कि-" जमीन से आकाश तक की यात्रा करने वाली
यह शख्सियत बेशक आज भी अपने आधार से कटी हुई नहीं है। और जो आधार से नहीं हटा होता
है अपनी जमीन से ऊपर नहीं होता है उसे मैं मेरा
कहने में संकोच नहीं करता।
मुलाकात तो उनके जन्मदिन पर सौजन्य बुके के
साथ हुई थी सदर वाले पलपल इंडिया के ऑफिस में। परंतु सर ने बाद में यह भी कहा आपको
सीढ़ियां चढ़ने में मुश्किल हो सकती है परेशान मत हुआ करें।
यह है उनकी संवेदनशीलता। मुझे लगा कि इस
पर्सनालिटी में कुछ तो है इन से जुड़ाव बना रहे । हुआ भी वही केवल बातचीत टेलीफोन
पर आर्टिकल पर उनकी खास टिप्पणी मुझे लगा कि ये साहब भी जुड़े रहना जानते हैं। कभी
हमारी प्रशासनिक बात नहीं होती नाही सरकारी बात होगी। सरकारी बाद के नाम पर बाल
भवन में क्या चल रहा है और इसे कैसे विकसित किया जा सकता है सर ने हमेशा सकारात्मक
सजेशन ही दिया।
चाहे बाल भवन की भूमि आवंटन का प्रस्ताव
किया बाल भवन की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने का मुद्दा सर हमेशा इन विषयों पर
बात किया करते हैं ।
40 साल की पत्रकारिता का अनुभव और एक दम
अंतरजाल का आना सर ने पत्रकारिता और तकनीकी का बेहतरीन सिंक्रोनाइजेशन किया।
पलपलइंडिया वेब पोर्टल के जरिए जबलपुर आज विश्व के कोने कोने तक छा चुका है। सोशल
मीडिया पर सक्रियता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगीत कार्यक्रमों का प्रसारण यूट्यूब
पर कराना आदरणीय सर का व्यक्तिगत दायित्व सा बन गया है इन दिनों। जब चकित हूं मेरे
संस्थान के 4 कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति
दिलाने में अभिमनोज सर का ही हाथ है।
विश्व के कई कलाकार हमारे संस्थान को याद
करते हैं प्रतिभाओं को देखकर चकित हैं।
सर ने मेरा परिचय यूके के निवासी डॉक्टर
बलबीर सिंह से कराया।देश -प्रदेश
के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार और हरपल
उत्परिवर्तित इंटरनेट समाचार-पत्र पलपल इंडिया डॉट
कॉम के सम्पादकीय अध्यक्ष अभिमनोज करीब 40
वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में
सक्रिय हैं . वर्षों तक प्रिंट
मीडिया में संपादक रहे 2012 से सूचना प्रौद्योगिकी ( Information Technology) क्षेत्र में इंटरनेट मीडिया के शीर्ष
दायित्व में अपनी पहचान बना चुके हैं.
उन्होंने देश के शीर्षपत्र-पत्रिकाओं में स्वतंत्र पत्रकारिता कर अपना कैरियर प्रारंभ किया . 1987 में नई दुनिया भोपाल संस्करण से जुड़ गए। उसके बाद स्थानांतरित हो
कर नई दुनिया इंदौर संस्करण बतौर उप संपादक कार्य करना प्रारंभ किया. तत्पश्चात फ्री
प्रेस (इंदौर) एवं दैनिक समवेत शिखर (रायपुर) के संपादकीय विभाग में महत्वपूर्ण
दायित्व निर्वहन किया. इसके अलावा वर्षों तक नवभारत के मुंबई, जबलपुर एवं सतना संस्करण सहित दैनिक पीपुल्स
समाचार, जबलपुर में स्थानीय संपादक रहे.
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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!