दिव्यांग व्यक्तियों के लिए 2018 के
राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा की गई है और श्री ललित कुमार को रोल मॉडल श्रेणी
में पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह पुरस्कार 03 दिसम्बर 2018 को दिव्यांग
व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर विज्ञान भवन,नई
दिल्ली में भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा दिया जाएगा। श्री ललित कुमार चार साल
की उम्र में पोलियो से प्रभावित हुए। उन्होंने पोलियो और अपने परिवार की कमजोर
सामाजिक और आर्थिक स्थिति से उत्पन्न बड़ी चुनौतियों के बावज़ूद अपनी शिक्षा जारी
रखी। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्कॉलरशिप का प्राप्त की और विदेश जाकर अपनी पढ़ाई
पूरी की।
भारतीय साहित्य को डिजिटलाइज करने की सबसे पहली पहल श्री ललित कुमार ने की। वह कविता कोश नामक साहित्य की दुनिया के सबसे बड़े ऑनलाइन कोश में से एक के संस्थापक हैं। श्री कुमार इस कोश में पद्य की विभिन्न विधाओं को देश-विदेशमें फैले स्वयंसेवकों की एक टीम की मदद से सहेज रहे हैं। कविता कोश में 40 से अधिक भारतीय और विदेशी भाषाओं के काव्य शामिल है। श्री कुमार लालित्य इंटरनेशनल फॉर आर्ट एंड कल्चर (LICAC) संस्था के वर्तमान अध्यक्ष हैं, जो भारतीय कला,साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। श्री कुमार ने दिव्यांगहित में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे WeCapable.com नामक वेबसाइट के संस्थापक हैं जो कि विकलांगता से सम्बन्धित महत्वपूर्ण सूचनाओं का विश्वसनीय स्रोत है। जुलाई 2018 में, श्री कुमार ने एक मुफ्त ऑनलाइन ब्रेल अनुवादक बनाया जो सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं का अनुवाद ब्रेल कोड में करता है। इसके बाद उन्होंने मूक-बधिर के लिए शब्द से सांकेतिक भाषा परिवर्तक भी बनाया। इसके अलावा, श्री कुमार दशमलव नामक एक यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं जो भारत भर में दिव्यांग व्यक्तियों को जानकारी, प्रशिक्षण और सलाह देता है। अपने इस चैनल के माध्यम से वे दिव्यांगजन के रोजगार, व्यक्तिगत समस्याओं, सरकार से मिलने वाली सुविधाओं के अलावा और भी अनेक विषयों पर जानकारी देते हैं और अपनी उत्साहवर्धक बातों से उनमें जीवन जीने का हौसला भरते हैं। इसके अलावा उनकी अन्य प्रमुख पहलों में TechWelkin.com और Gadyakosh.org शामिल हैं। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर और बायोइंफोर्मेटिशियन, श्री कुमार ने संयुक्त राष्ट्र संघ, मेडिकल रिसर्च काउंसिल ऑफ यूके और नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के साथ कार्य किया है।
पिछले कई दिनों से अंतरजाल पर कविता कोश ने साझा मंच स्थापित कर दिया
है। जिसमें हिंदी अंगिका नेपाली निवारी राजस्थानी पंजाबी भोजपुरी उत्तराखंडी लोक
भाषाएं बज्जिका और गुजराती जैसी भाषाओं की पत्रिकाएं ऑनलाइन मौजूद है।
ललित कुमार का जीवन संघर्ष से भरा हुआ रहा है। परंतु ललित
कुमार जी ने देश और साहित्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को हमेशा प्राथमिकता दी है।
ललित जी को भविष्य में अगर साहित्य सेवा के लिए पद्म पुरस्कार में से किसी
पुरस्कार के लिए चुना जाता है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। मैं तो चाहूंगा कि
चयनकर्ता प्रस्तावक ललित जी का नाम यथासंभव प्रस्तावित अवश्य करेंगे।
यदि आप में अपनी राष्ट्रभाषा राज्य भाषा क्षेत्रीय
भाषा में सृजन करने की क्षमता है तो अनिवार्य रूप से साझा परियोजना का हिस्सा
भारतीय साहित्य प्रेमियों को तकनीक के ज़रिए एक-दूसरे से जोड़ने के लिए है। यदि आप किसी पत्रिका के संपादक / प्रकाशक हैं तो आप कविता कोश के साझा मंच पर जुड़ सकते हैं। इसके लिए kavitakosh@gmail.com पर सम्पर्क करें।
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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!