24 जून 2008

सच्ची समाज सेवा

[पुनर्प्रकाशन के लिए क्षमा ]
समाज सेवको अँगुली कटा के महाराणा प्रताप बनने वाले नेताओं, समाज सेवा के समाचारों की पेपर कटिंग लेकर जमाने भर को दिखाने वालो , सरकार को दिन भर गरियाने वालो ,सब कान खोल के सुन लो "आशीष ठाकुर " जबलपुर की शान है.... जो न तो पुरूस्कार न तो सम्मान और न ही सराहना के लिए काम,करते है बस अंतरात्मा की आवाज़ बेसहारा , बे जुबां , बेनाता, देहों को पांच तत्व में मिलाने "शव-दाह" की जिम्मेदारी लेते हें , ६ वर्षों से जारी ये सिलसिला अब तक रूका नहीं सरकार आप आशीष के लिए क्या सोच रहे है...मुझे नही मालूम , लेकिन मेरा मन आशीष की समाज सेवा का मुरीद हों गया है॥

एक पुलिस कर्मी का बेटा मेग्मा कम्पनी का एग्जीक्यूटिव आशीष ने १००० बेसहारा-बेनाता देहों का अन्तिम संस्कार किया लोग समझतें हैं "ये सिर्फ आशीष की ड्यूटी है ...!"

धर्म,वर्ग,भाषा,जाति, राजनीति के नाम पे हंगामा करने वालो अब तो चेतो आशीष से सीखो सच्ची समाज सेवा.....ये सलाह है आपके लिए मेरे लिए सबके लिए । लोग बाग़ आशीष के बारे में क्या सोचते हें मुझे नही मालूम ? मैं उनको देवदूत मानता हूँ यकीन करने आप उनसे बात कर सकतें है ०९३००१२२२४२ पर । जबलपुर के इस साहस को सलाम ........ राम.....राम......

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!