16 जुल॰ 2007

आभास के पाँव पालने में !!
"आभास एक गायक बनेगा इसका अहसास उनके परिवार को तब हुआ हुआ जब एक सुबह नर्सरी जाने वाले आभास ने जगजीत सिंह जीं की ग़ज़ल गुनगुनाई "
सफ़र में आभास से सहयात्री ने पूछा "चुटकुले " के अलावा और क्या सीखा है ...
चुलबुले योगी ने झट एक गीत पूरी तन्मयता से सुनाया । और अब से शुरू हुआ यह सफ़र ....लगातार जारी है...
पूत के पाँव पालने में कुछ ऐसे ही नज़र आते हैं ...!
आपने देखा अपने बच्चों के पैरों को कभी गौर से.....!

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!