मयकदा पास हैं पर बंदिश हैं ही कुछ ऐसी ..... मयकश बादशा है और हम सब दिलजले हैं !!
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17 सित॰ 2007
श्रेयष बेहतरीन संगीतकार
ये अपना श्रेयष जिसने रिकार्डिस्ट भाई आशीष के कंधे को पकड़ रखा है । आशीष सक्सेना जीं से पुरानी दुश्मनी है इस भाई की । बावरे फकीरा
की रिकार्डिंग के समय सक्सेना जीं के कन्धों में दर्द था । श्रेयष जो गोगी के नाम से जाने जाते हैं , हर दस मिनट में एक जोरदार हाथ उसी कंधे पे रख देते जैसा आप फोटो में देख रहें हैं......! और आशीष भाई का दर्द वे कराह उठते दर्द से
मुझे मामला आज तक समझ नहीं आ रहा है......!
गोगी ऐसा लफड़ा करता क्यों है भाई....?
चलो ! छोड़ो आपको बता दूं मेरा प्रिय श्रेयष एक बेहतरीन संगीत कार है , उसकी सोच में लय ताल रिदम बसती है तो धड़कन गोया गीत-और-सुरों को संगीत की डोली में बिठाने बेताब ।
अशेष शुभकामनाएं
तो अब सुनिए २० बरस के श्रेयस की धुन प्रोमो पर =>
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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!