12 फ़र॰ 2008

नई दुनिया जबलपुर पर ब्लॉग-चर्चा

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2 टिप्‍पणियां:

  1. जानकर और समाचार पढ़कर बड़ी प्रसन्नता हुई है ढेरों शुभकामना के साथ

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  2. भाई साहबान आपकी शुभ-कामनाओं से अभिभूत हूँ
    अखबार ने मेरे एक भाषण के आधार पर आलेख तैयार किया लगता है.
    मुझे ज्ञात है मेरे शहर में भाई विकास परिहार,भाई विजय तिवारी,दादा
    महेन्द्र मिश्र,पंकज स्वामी "गुलुश",संजीव चौधरी, ब्लॉगर है.
    यदि मुझसे बात होती तो में बताता कि आनंद कृष्ण ई-कवि हैं .
    उड़नतश्तरी का क्या क्या कहना वो तो शेर ही हैं
    आप सबका आभार
    गिरीश बिल्लोरे मुकुल

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!