अपने अतीत को तलाशतीं आँखें !
नातिनों ने पूछा :"नानाजी......?"
उपरोक्त सारे फोटो के लिए भाई अरविंद यादव जी का ह्रदय से आभार !
फोटो ग्राफी के लिए समर्पित मशहूर गुजराती यादव परिवार के पूर्वज वैद्यराज पुरुषोत्तम जी यादव आज़ादी के पहले शहर जबलपुर आए थे। पुत्र शशिन जो जे जे स्कूल ऑफ़ आर्ट से शिक्षित थे ने फोटो ग्राफी को जीविका का साधन बनाया उनके पुत्र मेरे कला मित्र अरविंद यादव का सहयोग मुझे इस ब्लाग पर मिलेगा ही इन सब कामों के लिए
उपरोक्त सारे फोटो के लिए भाई अरविंद यादव जी का ह्रदय से आभार !
फोटो ग्राफी के लिए समर्पित मशहूर गुजराती यादव परिवार के पूर्वज वैद्यराज पुरुषोत्तम जी यादव आज़ादी के पहले शहर जबलपुर आए थे। पुत्र शशिन जो जे जे स्कूल ऑफ़ आर्ट से शिक्षित थे ने फोटो ग्राफी को जीविका का साधन बनाया उनके पुत्र मेरे कला मित्र अरविंद यादव का सहयोग मुझे इस ब्लाग पर मिलेगा ही इन सब कामों के लिए
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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!