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5 जून 2008

हिन्द-युग्म: पहली कविता का पहला शतक

हिन्द-युग्म: पहली कविता का पहला शतक

पूरा हुआ पांचवीं किश्त आने को कोई रोक न सका ।


*** प्रतिभागी ये रहे =>
पूर्णिमा वर्मन कमला भंडारी आशीष जैन प्राजक्ता दिनेश पारते सुनीता यादव भूपेंद्र राघव हेमज्योत्सना पराशर राजीव रंजन प्रसाद गिरीश बिल्लोरे "मुकुल" तनु शर्मा श्याम सखा 'श्याम' बेला मित्तल तरुश्री शर्मा मेनका कुमारी संजीव कुमार बब्बर अरविंद चौहान सुनील डोगरा ’जालिम’ गीता मोटवानी पूजा उपाध्याय
इधर अपुन अपनी नेट गुरु पूर्णिमा वर्मन के साथ पधारे हैं ।
आज पर्यावरण दिवस पर सभी को हार्दिक शुभ काम नाएँ यानी आज से हम संकल्पित हैं कि हम घर,बाहर,इधर-उधर,यहाँ तक कि ब्लॉग'स के पर्यावरण को सही रखेंगें इस में मैं भी शामिल हूँ

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कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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