29 जून 2008

रविवार को ख़ास बनाने अमीर खुसरो और नुसरत साहब

नुसरत साहब के सुर में

रंग के बाद सुनिए

छाप तिलक


यू ट्यूब से साभार

1 टिप्पणी:

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!