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29 जुल॰ 2008

इश्मित तुम लौट आओ




इश्मीत
तुम जो
विजेता हो
तुम जो भारत की आवाज़ हो
तुम छोड़ के हमें नहीं जा सकते
इश्मीत
तुम जो सुरों के रथ पे
"गीत" को बादशाह की तरह
ले आते थे....!!
सच तब देवता से लगते थे तुम
माँ,पापा और इस दुनियाँ
को छोड़ कर तुम
अपनी सुर संयोजना के
साथ अनंत में विलीन हो गए
मन बार बार कहता है

तुम लौट आओ
मेरे देवपुरूष तुम्हें मेरी विनत श्रद्धांजलि


3 टिप्‍पणियां:

  1. सच मुच इश्मीत सिँह की मृत्यु का समाचार सुन कर बहुत दुख हुआ।वह अपनें माता-पिता का इकलोता बेटा था।प्रभु उन को यह दुख सहनें की ताकत दे।

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  2. bahut dukhad haadsa hua.....eeshvar unke parivaar ko dukh sahne ki taakat de.

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  3. समाचार सुन कर बहुत दुख हुआ-ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.

    जवाब देंहटाएं

कँवल ताल में एक अकेला संबंधों की रास खोजता !
आज त्राण फैलाके अपने ,तिनके-तिनके पास रोकता !!
बहता दरिया चुहलबाज़ सा, तिनका तिनका छिना कँवल से !
दौड़ लगा देता है पागल कभी त्राण-मृणाल मसल के !
सबका यूं वो प्रिय सरोज है , उसे दर्द क्या कौन सोचता !!

कितना असरदार

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